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पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१३७

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कुछ भी नहीं समझता भैया, चाहे अब तुम सबके लिये मेरा चमड़ी हाज़िर है जूते बनवालो । जहा तुम्हारा पसीना है वहाँ मेरा खून गिरेगा।" युवकों ने उसे छाती से लगाया। अब युवक ने कहा- "जो बीर इस समय मृत्यु शय्या पर है यह एक साहली रत्न है। यह मा का एकलौता बेटा है इसकी उम् १८ वर्ष की है। हाल ही में इसने एम० ए० पास किया है। हम लोग कुछ भयानक बम के प्रयोग कर रहे थे कि एक बम फट गया और यह वीर इस दशा को प्राप्त हुआ । अब इसके प्राणों की रक्षा मम्भव नहीं दीखती। किली डाक्टर को भी तो हम नहीं बुला सकते "क्या करना चाहिये यह बताओ ?" हर सरन ने बेसब्रो से कहा। इतने ही में मर्छित व्यक्ति ने जोर २ से सांस लेनी शुरु की। एक युवक बोला-"अब कुछ नहीं हो सकता। हमारा यह वीर भाई जा रहा है, देखो हुचकियाँ बाने लगी ।" वह युवक घुटनों के बल बैठ कर रोगी की पट्टी पर सिर रख बालक की भाँति फूट २ कर रोने लगा । सभी के नेत्र भीगे थे। इधर घड़ी ने तीन बजाये और उधर युवक का प्राण पखेरू उड़ गया !!