पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/३८

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( २६ ) इतना कह कर बूढ़ा सिपाही कैदी के पैरों पर लोट गया। और उसके सूखे गालों पर आँसुओं की झड़ी लग गई। कैदी के आँसू टपक पड़े। उसका मौन भंग हुआ। आँसू पोंछ कर उसने बूढ़े का हाथ पकड़ कर कहा- मेरे बुजुर्ग ! मेरे पास बैठ जाओ, मैं तुम्हारी इस नियामत को तुम्हारे ही साथ खाकर निहाल होऊँगा।