कीड़े की तरह.. .(धनपत राय डाक्टर के पैरों के पास गिर कर रोने लगे)। डाक्टर ने कहा-धीरज ! ला० धनपत राय रोगी कहाँ है ? रोगी बेहोश अवस्था में था । आवश्यक उपचार करने के बाद डाक्टर ने कहा-क्या थोड़ा गर्म पानी मिल सकेगा ? "पानी, नहीं, घर में सुबह से एक बूद भी पानी नहीं है।" कुँए पर निर्लज्ज गोरों का पहरा है वे पानी नहीं भरने देते ! दो बार मैं गया पर पीट कर भगा दिया गया। डाक्टर ने बाल्टी हाथ में लेकर कहा-किधर है कुआ? "आप क्या इस अपमान को सहन करेंगे ?" "डाक्टर चुपचाप चल दिये। कुए पर पहुँचने पर ज्यों ही उन्होंने कुए में बाल्टी छोड़ी त्यों एक गोरे नै लात मार कर कहा-साला ! भाग जाओ. डाक्टर साहब ने तान के एक घुसा उस के मुह पर दे मारा। क्षण भर में ४-५ पिशाचों ने बन्दूक के कुन्दो से अकेले डाक्टर को कुचल कर धरती पर डाल दिया। साहस करके डाक्टर उठे और कीड़े की तरह रेंगते हुए गली के पार को चले। और किसी तरह अपने घर के द्वार पर आकर वे फर्श पर पड़ गये। +
पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/४३
दिखावट