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पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/४४

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( ३५. ) प्रभात हुआ। उनकी पत्नी ने आकर देखा वे ओंधे मुह जमीन पर पड़े हैं। उसने उन्हें जगाया और उनकी इस दुर- वस्था पर आश्चर्य प्रकट करते हुए संकेत से पूछा-'माजरा क्या है ?” क्षण भर में घर भर वहीं मौजूद था। सैकड़ों प्रश्न उठ रहे थे, परन्तु डाक्टर साहेब विमूढ़ से बैठे चुपचाप आकाश को देख रहे थे। मानों एकाएक चौंक कर वह उठे । उन्होंने मुट्ठी मीच कर कहा-ओह ! कहाँ है वह पंजाब केसरी ! आज पंजाब के शेर उसके बिना यो कुचले जा रहे हैं । आज यदि वह होता!!! डाक्टर साहेब उन्मत्त से होकर उठ बैठे और उन्होंने अपने उन घृणित साहबी ठाट के वस्त्रों को उतार कर फैंक दिया-फिर जेब से दियासलाई निकाल कर उनमें आग लगा दी, धीरे धीरे वह घर की सभी वस्तुओं को ला ला कर आग में डालने लगे । लोग अवाक् ह हो कर चुप चाप यह होली काण्ड देख रहे थे । अन्त में धारे गम्भार-स्वर में उन्होंने कहा- देश के पुरुषों का सम्मान, सङ्गठन, देश भक्ति और स्वा- स्माभिमान का कल्पना से होगा। यह बढ़िया विदेशी ठाट और काट के वस्त्र पहिनना और मोर के पर खोंस कर कौवे की तरह हास्यास्पद बनना अत्यन्त