पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/२४

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(१९)

जाकर कुछ जवाहरात चुराये और ख़िसक गया। प्रातःकाल किले वालों ने हमको पकड़ा। बहुत खोज के पीछे जब उस दुष्ट का पता मिला तब जाकर हम लोग क़ैद से मुक्त हुए। इस लिए हम लोगों ने प्रण कर लिया है कि किसी अनजान आदमी को अपन साथ न लेंगे।

(५) दो खुरासानी फ़क़ीर साथ साथ सफ़र कर रहे थे। उन में एक तो बुड्ढा था जो दो दिन के बाद खाना खाता था। दूसरा जवान था जो दिन में तीन बार भोजन पर हाथ फेरता था। संयोग से दोनों किसी शहर में जासूसी के भ्रम में पकड़ गये। उन्हें एक कोठरी में बन्द करके दीवार चुनवा दी गई। दो सप्ताह के बाद मालूम हुआ कि दोनों निरपराध हैं। इस लिए बादशाह ने आज्ञा दी कि उन्हें छोड़ दिया जाय। जब कोठरी की दीवार तोड़ी गई तो देखा गया कि जवान तो मरा पड़ा है और बूढ़ा जीवित है। इस पर लोग बड़ा कौतुहल करने लगे। इतने में एक बुद्धिमान पुरुष उधर से आ निकला। उसने कहा यह तो कोई आश्चर्य का विषय नहीं, यदि इसके विपरीत हो तो आश्चर्य की बात थी।

(६) एक साल हाजियों के क़ाफ़िले में फूट पड़ गई। मैं भी साथ ही यात्रा कर रहा था। हमने खूब लड़ाइयां कीं। एक ऊंटवान ने हमारी यह दशा