पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/२६

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(९) सादी ने भारत की यात्रा भी की थी। कुछ विद्वानों का अनुमान है कि वह चार बार हिन्दुस्तान आये, परन्तु इसका कोई प्रमाण नहीं। हां, उनका एक बेर यहां आना निर्भ्रान्त है। वह गुजरात तक आये और शायद वहीं से लौट गये। सोमनाथ के विषय में उन्होंने एक घटना लिखी है जो शायद सादी की यात्रावृत्तान्त में सब से अधिक कौतूहल-जनक है। वे लिखते हैं कि जब मैं सोमनाथ पहुंचा तो देखा कि सहस्रों स्त्री-पुरुष मन्दिर के द्वार पर खड़े हैं और उनमें कितने ही मुरादें मांगने के लिए दूर दूर से आये हैं। मुझे उनकी मूर्खता पर खेद हुआ। एक दिन मैंने कई आदमियों के सामने मूर्तिपूजा की निन्दा की। इस पर मन्दिर के बहुत से पुजारी जमा होगये, और मुझे घेर लिया। मैं डरा कि कहीं यह लोग मुझे पीटने न लगें। मैं बोला, कि मैंने कोई बात अश्रद्धा से नहीं कही। मैं तो खुद इस मूर्ति पर मोहित हूं लेकिन मैं अभी यहां के गुप्त-रहस्यों को नहीं जानता इसलिए चाहता हूं कि इस तत्व का पूर्ण-ज्ञान प्राप्त करके उपासक बनूँ। पुजारियों को मेरी यह बातें पसन्द आईं उन्होंने कहा आज रात को तू मन्दिर में रह। तेरे सब भ्रम मिट जायंगे। मैं रात भर वहां रहा। प्रातःकाल जब नगरवासी वहां एकत्रित हुए तो उस मूर्ति ने अपने हाथ उठाये जैसे कोई प्रार्थना कर रहा हो। यह देखते ही सब लोग जय जय पुकारने लगे। जब