पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/५३

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वह ऐश्वर्य्य का अभिलाषी नहीं लेकिन उसका निरादर भी नहीं करता है। उसमें बड़ा प्रशंसनीय गुण यह है कि वह अपने उपदेशों में आदर्श के साथ साथ व्यवहारिक दृष्टि भी रखता है।


धन जीवन के सुख के लिए है; किन्तु जीवन धन संग्रह करने के लिए नहीं है। मैं ने एक बुद्धिमान से पूछा, "संसार में भाग्यवान कौन है, और कौन भाग्यहीन?" बोला "जिसने भोगा और यश कमाया वह भाग्यवान है, किन्तु जिसने धन कमाया और छोड़ कर मर गया वह भाग्यहीन है।"


उन दो मनुष्यों ने वृथा कष्ट उठाया और वृथा परिश्रम किया। एक तो वह जिसने धन संग्रह किया और उसे भोगा नहीं, दूसरा वह जिसने विद्या पढ़ी किन्तु उसका उपयोग न किया।


दुष्टों पर दया करना, सज्जनों पर अत्याचार है।


नृपतियों की मित्रता और बालकों की मीठी मीठी बातों पर भरोसा नहीं करना चाहिये।