पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/५९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(५६)

बोस्तां

फ़ारसी साहित्य की पाठ्य पुस्तकों में गुलिस्तां के बाद बोस्तां ही का प्रचार है। यह कहने में कुछ अत्युक्ति न होगी कि काव्यग्रन्थों में बोस्तां का वही आदर है जो गद्य में गुलिस्तां का है। निज़ामी का सिकन्दरनामा, फ़िरदौसी का शाहनामा, मौलाना रूम की मसनवी, और दीवान-हाफ़िज़, यह चारों ग्रन्थ बोस्तां ही के समान गिने जाते हैं। निज़ामी और फ़िरदौसी वीर-रस में अद्वितीय हैं। मौलाना रूम की मसनवी भक्ति सम्बन्धी ग्रन्थों में अपना जवाब नहीं रखती, और हाफ़िज़ प्रेम-रस के राजा हैं। इन चारों काव्यों का आदर किसी न किसी अंश में उनके विषय पर निर्भर है। लेकिन बोस्तां एक नीति-ग्रन्थ है और नीति के ग्रन्थ बहुधा जनता को प्रिय नहीं हुआ करते। अतएव बोस्तां का जो आदर और प्रचार है वह सर्वथा उसकी सरलता और विचारोत्कर्ष पर निर्भर है। मौलाना रूम ने जीवन के गूढ़ तत्वों का वर्णन किया है और धार्मिक विचार के मनुष्यों में उसका बड़ा मान है। भाषा की मधुरता, और प्रेम के भाव में हाफ़िज़ सादी से बहुत बढ़ा हुआ है। उसकी सी मर्मस्पर्शिनी कविता फ़ारसी में और किसी ने नहीं की। उसके ग़ज़लों के कितने ही शेर जीवन की साधारण बातों पर ऐसे घटते हैं मानो