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पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/७१

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(६८)

कि तू हातिम से डरकर भाग पाया। अथवा तुझे उसका पता न मिला। उस मनुष्य ने उत्तर दिया, राजन् हातिम से मेरी भेंट हुई लेकिन मैं उसका शील और आत्मसमर्पण देख कर उसके वशीभूत हो गया। इसके पश्चात् उसने सारा वृत्तान्त कह सुनाया। बादशाह सुनकर चकित हो गया और स्वयं हातिम की प्रशंसा करते हुए बोला, वास्तव में वह दानियों का राजा है, उसकी जैसी कीर्ति है वैसे ही उसमें गुण हैं।

(१२) बायज़ीद के विषय में कहा जाता है कि वह अतिथिपालन में बहुत उदार था। एक बार उसके यहां एक बूढ़ा आदमी आया जो भूख प्यास से बहुत दुखी मालूम होता था। वायज़ीद ने तुरंत उसके सामने भोजन मंगवाया। वृद्ध मनुष्य भोजन पर टूट पड़ा। उसकी जिह्वा से 'बिस्मिल्लाह' शब्द न निकला। बायज़ीद को निश्चय हो गया कि वह क़ाफिर है। उसे अपने घर से निकलवा दिया। उसी समय आकाशवाणी हुई कि बायज़ीद मैंने इस क़ाफिर का १०० वर्ष तक पालन किया, और तुझ से एक दिन भी न करते बन पड़ा।