पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/७२

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सादी की लोकोक्तियां

किसी लेखक की सर्वप्रियता इस बात से भी देखी जाती है कि उसके वाक्य और पद कहावतों के रूप में कहां तक प्रचलित हैं। मानवचरित्र, पारस्परिक व्यवहार, आदि के सम्बन्ध में जब लेखक की लेखनी से कोई ऐसा सारगर्भित वाक्य निकल जाता है जो सर्व-व्यापक हो तो यह लोगों की ज़वान पर चढ़जाता है। गोस्वामी तुलसीदासजी की कितनी ही चौपाइयां कहावतों के रूप में प्रचलित हैं। अंग्रेज़ी में शेक्सपियर के वाक्यों से सारा साहित्य भरा पड़ा है। फारसी में जनता ने यह गौरव शेख़सादी को प्रदान किया है। इस क्षेत्र में वह फ़ारसी के समस्त कवियों से बढ़े चढ़े हैं। यहां उदाहरण के लिए कुछ वाक्य दिये जाते हैं—

अगर हिन्ज़िल खुरी अज़ दस्ते ख़ुशख़ूय,
वेह अज़ शीरोनी अज़ दस्ते तुरुशरूय।

कवि रहीम के इस दोहे में यही भाव इस तरह दर्शाया गया है—