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आरां कि हिसाब पाकस्त अज़ मुहासिवा चे वाक।
जिसका लेखा साफ़ है उसे हिसाब समझनेवाले का क्या डर?
दोस्त आँ बाशद कि गीरद दस्ते दोस्त,
दर परेशाँ हाली ओ दरमाँदगी।
मित्र वही है जो विपत्ति में काम आवें।
तू पाक बाश बिरादर मदार अज़ कस बाक,
ज़नन्द जामये नापाक गाज़ुराँ बर संग।
कलह से दूर रह तो तेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सक्ता। धोबी केवल मैले कपड़े को पत्थर पर पटकता है।
चु अज़ कौमे यके बेदानिशी कर्द,
न केहरा मन्ज़िलत मानद न मेहरा।
किसी जाति के एक आदमी से बुराई हो जाती है तो सारी की सारी जाति बदनाम हो जाती है।
पाय दर ज़ंजीर पेशे दोस्ताँ,
बेह कि बा वेगानगाँ दर बोस्ताँ।