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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/१०७

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. ११ दिनका अपवास कर रहे थे। अस परसे अन्हें गालियाँ दी जाती थीं, टट्टी पेशाबके लिझे भी ये दुष्ट अन्हें जाने नहीं देते थे। यह सब अन्होंने किस लिओ किया था ? जिनके असे असे साथी मौजूद हैं, अनकी सेवा हमसे किस तरह हो सकती है ? अब कभी अन्हें देख सकूँगा या नहीं, यह भी भगवान ही जानता है !” यह कहकर लम्बा निश्वास डाला और फिर आग्रह करने लगा " मुझे बताप्रिये, भाभी बताअिये, मैं जिनके लिखे क्या भेयूँ ? कुछ खानेको भेजूं जिससे यह मान कर मुझे तृप्ति हो कि अिन्होंने मेरे हाथका खाया ?" असे जवाब देनेकी परेशानीमें समय जा रहा था कि बापू और वल्लभभाी, जो मुलाकातके लिओ जेलके दरवाजे पर गये थे, आ पहुँचे और हमारी बातचीत बंद हो गयी । बाप्के लोभकी --- सेवाके लोभकी --- कौन बराबरी कर सकता है, असे कौन समझ सकता है ? हाथ दुग्वता है, डॉक्टर मना कर रहे हैं, फिर भी यह कहकर कि दर्दका चरखा चलानेसे कोी वास्ता नहीं है, आज ४०५ तार तक पहुँचे हैं और कहते जा रहे हैं। "देखो, प्रगति होती जा रही है न ?" असके साथ साथ झुर्दू ताजा करनेका, तेजीसे पढ़नेकी शक्ति प्राप्त करनेका लोभ तो रहता ही है। रैहाना बहनके पत्र अदुमें आते हैं। अन्हें झुमें लिखनेकी कोशिश करके अनसे भूलें सुधरवाते हैं और मेरी 'अस्तानी' कहकर अन्हें सम्बोधन करते हैं और अपनेको सुनका शागिर्द लिखते हैं । यह सब हो रहा था, पर अिससे सन्तोष न करके अब झु की सारी किताबें जेलके पुस्तकालयसे मँगावी ली हैं और सवेरे खाते खाते अन्हें पढ़ना शुरू किया है । आकाश- दर्शनसे तो औश्वरकी विभूतियोंकि दर्शनकी छूट पर छूट मिलती हैं, अिसलिओ अिस विषयको पुस्तकोंका भण्डार बढ़ता जा रहा है। पत्रव्यवहार भी बढ़ता जा रहा है । और रस्किनकी पुस्तकें पढ़नेमें वे असे डूब जाते हैं कि अस वक्त असा लगता है कि जिसमें से सूझनेवाले विचारोंको बैठे बैठे लिख डालें। की तबीयतका हाल जाननेके लिअ सुपरिण्टेण्डेण्टकी अिजाजत लेकर मुझे भेजा । अन्हें दस्त नहीं हुआ, यह सुनकर अनके अिलाजके लिओ तुरन्त जेलरको पत्र लिखा । कल वाके लोभका जिक्र किया था । आज डॉक्टरका कहना माननेकी, गरजसेयानी बायें हाथकी कोहनीकी हड्डीको आराम देनेकी १७-४-३२ असकी सलाह माननेके अद्देश्य से --- बापूने नी ही युक्ति निकाली। बारडोलीमें बना हुआ ' यरवदा चक्र' जैसा हे कि सुसका तकुवा अलटा और सुलटा दोनों तरहसे चलाया जा सकता है । यह चरखा चायें हायसे चलाया जा सके, अिस ढंगसे अस पर अलटा तकुवा चढ़ाकर अस