पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/११६

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- " - न मुझे कोभी संकोच है, न शर्म है। मेरी कुशलता तुम मंजूर करो या न कगे, यह तुम जानो । मगर सापका जहर अतारना जाननेवाला आदमी अपनी कलाके बारेमें शंकित रहे या असे छिपाये, तो जैसे वह मूल्का सरदार माना जायगा, अिसी तरह में भी अपनी कलाको जानते हु छिया तो मुर्खराज व । जानझ कर गैसा बननेकी मेरी अिच्छा नहीं है।" बाहर सोने की आदतके बारेमें बातचीत करते हुओ मैंने बापूको याद दिलाया कि आत्मकथा' में लिखा है कि आप तो दक्षिण अफ्रीकामें भी बाहर खुलेमें सोते थे। बापू बोले ~~ " सोता तो था। बाहर सोता यानी क्या ? दक्षिण अफ्रीकाको सस्त ठंडमें ही नहीं, बरसातमें भी। टंढमें अच्छी तरह ओहनेको होता था । कॅलनवक ढेरों कम्बल जमा कर लेता और बरसातमें अपर मोमजामेके कपड़े जैसा कुछ डाल देता, ताकि पानी नीचे चला जाय । मुंह कनेके लिओ तरकीब सोच ली थी। हम तो पागल जैसे प्रयोग करनेवाले ठहरे; जिसे पकड़ लिया असका अन्त लाकर ही छोड़ते । प्याजमें शक्ति है, यह जानते ही लगे प्याज खाने । अक बार मैं अिमली खुब खाता था। अिमली स्कर्वी नामक रोगको मिटानेवाली है और नीबू बहुत महंगे मिलते थे, अिसलि ढेरों अिमली खाते मूंगफली के साथ अिमली और गुड़का पानी बना कर सुबह ही बापू काकाके बारेमें बातें करते हुओ झुठे । प्रार्थना शुरू करनेसे पहले ही बाते करने लगे "काकाको दूध नहीं देते, २१-४-३२ यह बात ठीक नहीं मालूम होती । यह कहा होगा कि गायका दूध नहीं दे सकते । और, जैतूनका तेल अिसलिओ होगा कि गायका मक्खन नहीं दे सकते । दुर्दशा यह है कि गायका दूध बहुत जगह नहीं मिलता । मद्रासमें बिलकुल नहीं मिलता, पंजायमें नहीं मिलता और महाराष्ट्र में भी नहीं मिलता होगा। मगर गायके दूधका व्रतवाला 'नेसल्स मिल्क' ले, तो काम चल सकता है, विदेशी डेरीका मक्खन ले तो चल सकता है - क्योंकि ये सब गायके दूधके होते हैं !" गायके दूधका व्रत कहाँ ले जाता है, यह अिससे समझा जा सकता है ! प्रार्थनाके बाद बोले आज ही अिन्स्पेक्टर जनरलको लिखना पड़ेगा। अिस पर यह सवाल खड़ा होगा कि ये सब समाचार गांधीको कहाँसे मिले और सुपरिटेण्डेण्टको हमारी डाक सावधानीसे देखनेका हुक्म मिले, तो आश्चर्य । गिरधारी आज मिलने आनेवाला था, मगर नहीं आया । सुबह बापूने डोजीलको दो पत्र लिखे । अक काका और नरहरिके बारेमें और दूसरा मुलाकातके लिभे आनेवाले राजनीतिमें भाग न लेनेवाले कैदियोंके बारेमें था। ११३