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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/१६८

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पहला पेन दिया था। अिसी तरह बापू सिर्फ तिथि लिखते थे। तारीख लिखी जाती तो चिश्ते थे । अब अन्होंने तिथि लिखना छोड़ दिया है और कहते हैं " तारीखको सारी दुनिया मानती है। असके साथ क्या द्वेष हो सकता है ?" हेमप्रभा बहनका लड़का अरुण बहुत बीमार है और आराम नहीं लेता, यह सुनकर असे पत्र लिखा: "Mother tells me you are ailing and that you insist on reading and working. Will you not give yourself rest and the body a chance of recovery? Though death and life are the faces of the same coin and though we should die as cheerfully as we live, it is necessary until life is there to give the body its due. It is a charge given to us by God. And we have to take all reasonable care about it. Do write me if you can. God bless you." "माँ कहती है कि तु बीमार है और फिर भी तू पहने और काम करनेकी हठ करता है। क्या तु आराम नहीं लेगा ? आराम लेगा तो जल्दी अच्छा हो जायगा । वैसे तो मरना और जीना अक ही सिक्केके दो पहलू हैं, और हम जितने आनन्दसे जीते हैं अतने ही आनन्दसे हमें मरना चाहिये। फिर भी जब तक जीवन है, तब तक शरीरको जुसका हक देना ही चाहिये । यह तो हमारे लिओ ीश्वरकी दी हुी धरोहर है । और हमें असकी वाजिब संभाल रखना ही चाहिये । तू लिख सके तो मुझे लिखना | भगवान तेरा भला करे !" मिस फेरिंगको लिखे हुये पत्रमेंसे : "I understand all you are doing. Only you must not work yourself into anxiety. If we simply make ourselves instru- ments of His will, we should never have an anxious moment. “Yes, there is no calm without a storm. There is no peace without strife. Strife is inherent in peace. Life is a perpetual struggle against strife whether within or without. Hence the necessity of realizing peace in the midst of strife." तुम जो कर रही हो, वह मैं समझ सकता हूँ। मगर तुम्हें बहुत चिन्ता नहीं करनी चाहिये । हम अगर अपने आपको भगवानकी अिच्छाके सुपूर्द कर दें, तो हमें कभी चिन्ता करनी ही न पड़े ।