पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२२

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! 19 . - every evening. You will recall that one of the verses says that the craving for self-indulgence abates only when one sees God face to facc. "जीवनको संयमी बनानेकी योजना तैयार करते वक्त अक क्षण भी यह. बात न भूलनी चाहिये कि हम सब परमात्माके अंश हैं और अिसलिओ असका स्वभाव हममें मौजूद है। और परमात्माके बारेमें स्वच्छन्दता जैसी चीज हो ही नहीं सकती, मिलि सावित होता है कि स्वच्छन्दता मानव-स्वभावके भी विरुद्ध है । यह मूल चीज हमारे दिलमें बैठ जाय, तो संयम साधनेमें कोी मुश्किल न पड़े । हम रोज गीतापाठ करते हैं, असमें बिलकुल यही ध्वनि है । वह श्लोक तुम्हें याद होगा, जिसमें कहा है कि विषयोंमेंसे रस तभी जाता है, जब परमात्माका दर्शन होता है।" बच्चोंके खतमें अक यात महत्त्वकी बताभी आजका समय लम्बे अरसे तक चलता रहे, तो हमें थकावट मालूम न होनी चाहिये और अगर अिसे शोकका कारण मान लें तो यकावट मालूम हुझे बिना रह ही नहीं सकती। जैसे यहाँ भी बापूको अपनी लड़कीकी शिक्षाके बारेमें पत्र लिख कर राय पूछते हैं ! अन्हें लिखे हुझे अक पत्रमेंसे जान पड़ता है कि अन्तर्जातीय विवाहके बारेमें बाके विचार और भी आगे बढ़ गये हैं। उन्हें यह लिखा "मेरा यह भी विश्वास है कि शादी जातिके बाहर होनी चाहिये । मर्यादा वैश्य . तक ही बदामी जाय तो भले, परन्तु योग्य पति वश्यके बाहर भी मिले और लड़की असे पसन्द करे, तो असे रोकना नहीं चाहिये ।" अक नवविवाहित युगलने अजब कुंकुमपत्री भेजी। असमें अपनी शादीका जिक्र करके आशीर्वाद माँगा । अन्हें बापूने अक परचा लिखा ."चि० तुम दोनोंने नया रास्ता निकाला है । मेरे आशीर्वाद तुम दोनोंको हैं । असमें सरदार बिन माँगे शरीक हैं। हम चाहते हैं तुम दोनों शुद्ध सेवा करो। आशीर्वादकी माँग छपे हुओ कार्ड में की है, जिससे वह सिर्फ शोभारूप हो जाती है और अस हद तक असकी कीमत कम हो जाती है | अगर आशीर्वाद माँगने लायक हों तो वे हायसे लिखकर मैंगाने चाहिये और असमें दम्पत्तिके कुछ शुभ संकल्प भी हों।" वहनने सौन्दर्यकी तारीफ़ करनेके बारेमें सवाल किया था । असने कॉलेजमें किसी युवकको देखकर असके रूपकी प्रशंसा की और बताया था कि वह जवाहरलालजीकी खूबसूरती पर मोहित है। बापूने तीन वाक्योंमें सौन्दर्य-सूत्र कह दिये- ." सौन्दर्यकी तारीफ़ होनी ही चाहिये। मगर वह मूक अच्छी । और 'तेन त्यक्तेन भुंजीयाः।' यह कहा जा सकता है कि जिसे आकाशका सौन्दर्य