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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२२१

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me. If God is, why need I care? He is the infallible caretaker. He is a foolish man who fusses although he is well protected.” "किसी बातकी चिन्ता न करो', यह पंक्ति मुझे हमेशा याद रही है। अिसे मैं कभी भूलता ही नहीं। अगर भीश्वर है तो मुझे क्यों चिन्ता हो ? हमारी अचूक सँभाल करनेवाला वह बैठा है । असे हमारी जितनी फिक्र होते हुओ भी जो चिन्ता करता है वह मूर्ख है । "

बम्बीकी खबरोंमें खास यह है कि लालजी नारणजीकी रक्षा करनेसे अिनकार कर दिया गया और अन्हें बम्बी छोड़नेका हुक्म मिल गया, जब कि अक मुसलमान गुण्डेको या गुण्डोंको अभाड़नेवालेको यह हुक्म नहीं मिला । हाजिरीकी शर्त तोड़नेवाले कांग्रेसियोंको दो वर्षकी सजा और १००)से १०००) रुपये तक जुर्माना होता है, जब कि छुरे छिपाकर रखनेवाले भावी हत्यारों पर ५) रुपये जुर्माना होता है।"

अस दिन मैं बापूसे मूर्तिपूजाके बारेमें पूछ रहा था । तुकारामका अक अभंग अद्धृत करके कीर्तिकरने अपनी Studies in Vedanta (वेदान्तका अध्ययन ) पुस्तकमें हिन्दू भावनाका अच्छे ढंगसे वर्णन किया है । वह कहता है कि हिन्दू प्रतीककी पूजा नहीं करता, बल्कि अीश्वरकी पूजा करता है। और यह विचार ीसाी संसर्ग या पाश्चात्य संसर्गसे पैदा नहीं हुआ था, बल्कि अंग्रेजोंके आनेसे पहले तुकारामने सुन्दर ढंगसे अिसे अभंगमें गूंथा है : केला मातीचा पशुपति, परी मातीसी काम म्हणती, शिवपूजा शिवासि पावे, माती मातीमाजी समावे, केला पाषाणाचा विष्णु, परि पाषाण नव्हे विष्णु, विष्णुपूजा विष्णुसि अर्पे, पाषाण रहे पाषाणरूपे, केली काशाची जगदंबा, परि कासे नव्हे अम्बा, पूजा अम्बेची अम्बेला घेणे, कांसे रहे कांसेपणे, तैसे पूजिती आम्हा संत, पूजा घेतो भगवंत आम्ही किंकर । मिट्टीका शंकर तो बना दिया, मगर अिससे मिट्टीको क्या हुआ ? शिवकी पूजा शिवको मिलती है और मिट्टी बेचारी मिट्टीमें मिल जाती है । पत्थरका विष्णु बनाया, मगर पत्थर विष्णु नहीं है । विष्णुकी पूजा विष्णुके अर्पण होती है और पत्थर वेचारा पत्थर ही रहता है; काँसेकी जगदम्बा बनायी, मगर काँसा कोणी माता नहीं है। माताकी पूजा माता ले लेती है और काँसा काँसा ही १९८