पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२२२

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रहता है। अिसी तरह हम संतकी पूजा करते हैं, मगर वह पूजा भगवानको पहुंचती है और हम असके सेवक ही रहते हैं।

आज ढाह्याभाभी मिलने आये थे, मगर बापू मिलने नहीं गये । बापू कहने लगे- - मान लो सरकारका जवाब आने में महीनाभर लग जाय । तो क्या मुझे महीनेभर तक मुलाकातें करते रहना चाहिये ? नहीं, आजसे ही बन्द करना चाहिये ।" वल्लभभाीने और मैंने आग्रह किया, मगर बापू अटल रहे । खुबी यह हुी कि जिसी वक्त, दफ्तरमें सरकारका पत्र आ गया कि मीराबहन राजनीतिक काममें - सविनय कानून भंगके आन्दोलनमें हैं, अिसलिये वे आश्रमके अराजनीतिक आदमियोंमें नहीं शुमार हो सकतीं । जेलर वल्लभभाभीको वापस छोड़ने आये, तब वह पत्र दिखानेको लाये । बापू कहने लगे. " मैं नहीं गया यह समझदारी ही हुी न ? भगवानने जिन्दगीमें बहुत बार अिसी तरह बचा लिया है।" -भाग लेती आज बापूके बायें हायकी कोहनी पर लकड़ी के पटिये बाँधे गये । बेचारे डॉक्टरने दर्जन बार कहा होगा कि आपको तकलीफ हो तो ५-६-३२ कहिये । मगर बापू क्यों कहने लगे ? बापू कहने लगे यह तो नहीं कह सकता कि अिससे आराम होगा, मगर डॉक्टर कहते हैं तो प्रयोग कर लिया जाय ।" डॉक्टर बातूनी हैं। देशके भिखमंगोंकी बात चली । डॉक्टर कहने लगे सशक्त मनुष्योंका भीख माँगना बन्द कर देना चाहिये, यह तो आप भी मानते हैं न गांधीजी ?" जरूर ।" डॉक्टरने कहा ." कानून भी बना देंगे ?" बापूने कहा 'कानून जरूर बना दूंगा । मगर भाओ, मुझ जैसोंके लिअ भीख माँगनेकी छूट रख ली जायगी हाँ !" डॉक्टरने कहा "लॉर्ड रेडिंगका अन्दाज है कि हम १६ लाख रुपये रोज अिन भिखारियों पर खर्च करते हैं - यानी दानमें देते हैं। क्या अिसका दूसरा झुपयोग नहीं हो सकता ?" वल्लभभाी. "हाँ, पर अिससे भी ज्यादा तो डाकुओं पर खर्च करते हैं । " डॉक्टर कहने लगे-“मैं समझा नहीं।" वल्लभभाभी. "क्या कहा ? अजी, ये विलायतसे अितने सब डाकू ही आये हुआ है न ! ये क्या लुटेरोंसे अच्छे कहे जायेंगे ? ?" - वाप बोले. -

मताधिकार कमेटीकी रिपोर्ट पर तीन चार अखबारोंमें आलोचना आयी सो पदी । लेकिन अछूतोंके अलग मताधिकारके बारेमें जैसी जोरदार आलोचना नटराजनने की है, वैसी और किसीने नहीं की। निर्वाचक मंडलकी भयंकरता तो १९९