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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२२३

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साअिमन कमीशनने भी देखी थी, यह कह कर वे लम्बा अद्धरण देते हैं और सख्त विरोध जाहिर करते हैं ।

जयकरकी भेजी हुी कीर्तिकरकी Studies in Vedanta (वेदान्तका अध्ययन ) बापू पढ़ रहे हैं । तत्वमसि वाले प्रकरणके शुरूमें हेगलका जो वाक्य दिया है, वह बताया : "It is man's highest dignity that he should know himself to be a nullity." मनुष्य यह जान ले कि वह खुद शून्य है, तो यही असका सबसे बड़ा गौरव है " यह तो शून्य हो जानेकी जो बात आप कहते हैं, वही है। बापूका मौन था, अिसलि हँसे । अिसी लिओ अन्होंने यह वाक्य बताया था। CS > मैंने कहा-

रोलाँका लिखा हुआ विवेकानन्दका जीवन चरित्र पढ़नेसे बहुत-सी बातें जाननेको मिलती हैं। अमरीका जानेसे पहलेका सुनका भारतभ्रमण तो सभी जानते हैं, मगर दौरेके अन्तमें अन्होंने दुखी, पीड़ित और दरिद्र भारत अपनी आँखोंसे देखा । अन्होंने 'दरिद्रनारायण' के दर्शन किये और अपनेको असकी सेवाके लिओ समर्पण कर दिया । “It was the misery under his eyes, the misery of India that filled his mind to the exclusion of every other thought. consumed him during sleepless nights. At Cape Commorin it caught and held him in its jaws. He dedicated his life to the unhappy masses. . . . He told them with pathetic passion of the imperious call of suffering India that forced him to go. It is now my firm conviction that it is futile to preach religion amongst them, without first trying to remove their poverty and their sufferings. It is for these reasons—to find more means for the salvation of the poor India, that I am now going to America." "अपनी आँखोंसे देखी हुी भारतमाताकी कंगालीका खयाल अनके दिमागमें अितना भर गया कि असने और सब विचारोंको निकाल फेंका. । अिस विचारने अन्हें जलाया और अनकी नींद हराम कर दी । कन्याकुमारीके वहाँ तो अिस चीजने अन्हें पूरी तरह घेर लिया । उन्होंने अपना जीवन २०० 19