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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२३४

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सोचनेको बहुत मिला । और अनुभवकी पाठशालाका अभ्यास किताबें पढ़नेसे ज्यादा अपयोगी होता है, जिसमें शक नहीं । 'कलाके लिो कला' साधनेका दावा करनेवाले भी असलमें वैसा नहीं कर सकते। कलाका जीवनमें स्थान है। कला किसे कहा जाय, यह अलग सवाल है। मगर हम स्वको जो रास्ता तय करना है, असमें कला, साहित्य वगैरा सिर्फ साधन है । वे ही नत्र साध्य बन जाते हैं, तब बन्धन बनकर मनुष्यको गिराते हैं। “ीश्वरका अर्थ है 'सत्य'। कुछ ही वर्षांसे मैं यह कहनेके बजाय कि भीश्वर सत्य है यह कहने लगा हूँ कि सत्य ओश्वर है । यही वाक्य मुझे ज्यादा न्यायसंगत लगता है । सत्यके सिवा जिस दुनियामें कुछ नहीं है । "यहाँ सत्यकी व्यापक व्याख्या करनी है । यह सत्य चेतनमय है। यह सत्यरूपी ीवर और शुसका कानून अलग अलग नहीं है, बल्कि अक ही है, और अिसलि वह भी चेतनमय है । मिसलिमे यह कहना कि यह जगत सत्यमय है या नियममय है अक ही बात है। अिस सत्यमें अनन्त शक्ति भरी हुी है । गीताके दसवें अध्यायके अनुसार कहें, तो असके अक अंशसे संसार टिका हुआ है। अिसलिअ जहाँ जहाँ श्रीश्वर शन्द आता है, वहाँ वहाँ सत्य शन्द भिस्तेमाल करके अर्थ लगायें, तो श्रीदवरके बारेमें मेरी राय समझमें आ सकती है । अगर भीश्वर है- भले हम असे सत्यके रूपमें ही जाने-तो असकी आराधना करना हमारा धर्म हो जाता है । हम जिसकी आराधना करते हैं वैसे ही बन जाते हैं। प्रार्थनाका अर्थ अिससे ज्यादा नहीं है। मगर अिस अर्थमें सब कुछ समझमें आ जाता है न ? सत्य हमारे हृदयमें बसता है। मगर हमें असका भान या पूरा मान नहीं है । वह हार्दिक प्रार्थनाके जरिये होता है। क्या मेरे अक्षर पदनेमें मुश्किल होती है ? जिस लिफाफेमें यह पत्र रखा है, वह सरदारका बनाया हुआ है। जितने निकम्मे कोरे कागज हाय लगते हैं, सुनका अिसी तरह झुपयोग करनेमें वे अपना बहुतसा वक्त बिताते हैं । वापूके आशीर्वाद" यह पत्र जिस खतका जवाब है असमें झुठाये हुओ दो मुख्य प्रश्न भारतीके पत्रसे ही लें: "जिसे हम संकुचित अर्थमें साहित्य कहते हैं, क्या असे पढ्नेका शौक आपको है या था! यह शंकास्पद माना जाता है कि जीवनमें साहित्य, कला और सौन्दर्य (जिसमें अिन्द्रियोंका आनन्द प्रधान हो) की कितनी गुंजायश है- हमारे देशके मौजूदा हालातको अलग रखकर सोचने पर भी । कितने ही लोग कहते हैं कि झूचीसे सूची कला जीवनके बड़े प्रश्नोंसे अलग नहीं रह सकती । यह होगा, मगर असे बहुत होते हैं जो कलाके पात्रोंसे रंग, सुगंध और 66