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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२३८

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न रखते हों वे मेरे थोड़े बहुत संयमसे मोहित हो सकते हैं, और सम्भव है, असके कारण मुझमें जो कमजोरियाँ हों, वे सुनकी नजरमें न आयें।" जेलकी तरफसे मिलनेवाली विशेष सुविधायें-किसी भी हेतुसे. आपने न छोड़ी हों, तो असका असर दूसरों पर अच्छा नहीं पड़ता। पहलेके अक पत्रके जवाबमें पैसा लिखा गया था । अस सिलसिलेमें लिखा ."मैं कैदीके नातें जो सुविधायें भोग रहा हूँ, वे वर्गीकरणके कारण नहीं हैं। मैं अपराधी कैदियोंमें नहीं गिना जाता । असे कैदियोंको पहलेसे ही बहुत सी सहूलियतें होती हैं । मगर यह मेरे कामका कोभी बचाव नहीं है। मेरे-जैसे कैदियोंको तो सरकार कुछ खास सुविधायें देती है । हाँ, भिन सुविधाओंका उपयोग करना न करना कैदी पर ही निर्भर रहता है। अिसलिओ तुम जो लिख रहे हो, अस तरहकी गलतफहमी होना बिलकुल स्वाभाविक है । जिस गलतफहमीका जोखम झुठाकर भी मैं जिन सुविधाओंको काममें ले रहा हूँ, अनका उपयोग करते रहना ही मुझे सार्वजनिक दृष्टिसे अचित लगता है । मगर अिस विचारश्रेणीकी सफाभी देनेकी बात ही न होनी चाहिये । जिसकी योग्यता स्वयंसिद्ध मालूम होनी चाहिये । औसा न हो तो भी जब तक में ठीक समझता हूँ, तब तक मुझे असपर अटल रहना चाहिये । यह नीति नेता पर लागू होती है । नेता जिस रास्तेपर चलता हो, उसका हमेशा कारण नहीं बता सकता ।' मगर जिस मार्गको वह ठीक समझता हो असे किसीकी सुनकर छोड़ दे, तो वह नेताकी पदवीके लायक नहीं है। असे नेताओंने अपने अधिकारमें रहनेवालेके जहाज चहानपर चढ़ा दिये हैं। भिसलिये मुझ जैसोंको तुम्हारे जैसे, जहाँ जहाँ शंका हो, वहाँ वहाँ सावधान जरूर कर दें। मगर अिस चेतावनी के बाद भी नेता अपना रास्ता न छोड़े तो श्रद्धाके साथ यह मान लेना चाहिये कि वही रास्ता ठीक है । औसा करने पर कितनी ही बार श्रद्धा गलत निकलती है। मगर जीवन में समाजकी व्यवस्थाका संचालन और किसी तरहसे हो ही नहीं सकता। अभी तो मेरा असा खयाल है कि मुझे जब महसूस होगा कि अमुक या अक भी सुविधा नहीं लेनी है, तव असे छोड़ देनेकी मुझमें शक्ति है। मैंने दक्षिण अफ्रीकामें सिर्फ मामूली कैदीकी तरह रहना काफी समय तक सीखा है। " कृष्णदासके बारेमें तुमने जो कुछ सुना है वह कहाँसे सुना ? यह बात तो बिलकुल गलत ही है। कृष्णदासको हरगिज नहीं निकाला गया। कितने ही कारणोंसे अन्होंने छुट्टी मांगी थी। मगर छुट्टी ले लेनेपर भी सुनका सम्बन्ध तो बना ही हुआ है । किसीकी प्रेरणासे असा कदम झुठाना मेरे स्वभावके विरुद्ध है। कृष्णदासके बारेमें किसीने मुझे जिस प्रकार की प्रेरणा की ही नहीं थी । मगर मैं अिस बातकी जड़ जानना चाहता हूँ । अिसलिमे बताने-जैसी हो तो बताना।" -