पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२४५

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सर्वत्र प्रमुप्रीत्यर्थ काम करनेका अवसर मिलता ही है। वह जहाँ जाता है वहाँ अपनी सुगन्ध फैलाता है।" को लिखे हुओ पत्रमेंसे तुम आत्मविश्वास खो बैठो यह ठीक नहीं है । बुरे विचार मनुष्यको अक्सर आते हैं। मगर जैसे घरमें कूड़ाकरकट भर जाने पर जो असे समय समय पर निकालता रहता है असके लिअ कहा जाता है कि वह साफ है और अपना घर साफ रखता है। उसी तन्ह कुविचारोंके आते ही जो निकलता रहे असकी सदा जय ही है। वह कभी दंभी नहीं कहलाता । अिस दभसे वचनेका मैंने सुवर्ण अपाय यह बताया है कि हमें अिन विचारोंको कभी नहीं छिपाना चाहिये, बल्कि जाहिर कर देना चाहिये । सुनकी डोंड़ी पीटनेकी भी जरूरत नहीं है । किसी न किसी मित्रको जरूर कह देना चाहिये । और मनकी यह स्थिति होनी चाहिये कि सारी दुनिया जान ले तो भी हर्ज नहीं । विनोबाके वचनों पर श्रद्धा रखना और निराश न होना ।" बाहर काम करने जाने वाले राजनीतिक कैदियोंको बेड़ियाँ पहनाते हैं । असके खिलाफ सत्याग्रह करना चाहिये, या नहीं अिस विषयमें - ."कैदियोंके बर्तावके बारेमें यहाँसे प्रगट करने लायक कुछ लिखा ही नहीं जा सकता । तुम लिखते हो यह तो ठीक है कि जिसका ज्यादा स्पष्टीकरण होना चाहिये। वह तो मौका मिलने पर ही होगा । बेड़ीके बारेमें तुम्हारी दलील समझ ली है। मगर मेरी राय अभी वही है, क्योंकि मेरे खयालसे राजनीतिक और दूसरे कैदियोंमें फर्क नहीं है । अिसलि सारे जेलखानेके तरीकेमें सुधारकी जरूरत है। यह माना जाना चाहिये कि जेलखाना सजाकी जगह नहीं, परन्तु सुधारकी जगह है। और यह मान लिया जाय तो अस आदमीके लिओ, जिसने झुठा दस्तावेज बनाया हो और असके लिओ वह कैदमें पड़ा हो, बेड़ीकी क्या जरूरत है ? बेड़ीसे तो वह सुधरेगा नहीं। जिसके भाग जानेका डर नहीं हो, झगड़ा करनेकी जिसमें शक्ति नहीं हो, अिच्छा भी नहीं हो, औसेको बेड़ी पहनाना मुझे असह्य लाता है। मगर राजनीतिक कैदी हो, वह शरीरसे तुम्हारे जैसा पहलवान हो, रोज जेल तोड़नेके मनसूबे गढ़ता हो, हाथका छूटा हुआ हो और मुँहका भी छूटा हुआ हो तो असे बेड़ी पहनाना मैं धर्म मानूंगा । जिससे सार अितना निकालना चाहता हूँ कि राजनीतिक और अराजनीतिकका भेद गलत है। और हम सुधारकोंका धर्म यह है कि जो भी सुविधा हम माँगे, वह सिर्फ नीतिके आधार पर होनी चाहिये और जिस प्रकारके सभी कैदियोंके लिओ लागू होनी चाहिये । राजनीतिकके लिये गेहूँ और अराजनीतिकके लिओ मक्की, यह मेरे लिझे तो असह्य होना चाहिये । लेकिन मक्की हजम न हो सके औसे खुनी कैदी हों, तो. अन्हें गेहूँ मिलना चाहिये; और मक्कीको आसानीसे हजम कर सके औसी अच्छी पाचनशक्तिवाला राजनीतिक 3 २२२