पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२४९

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आज विवाह वगैराके जिन बन्धनोंको आत्मपोषक मान रखा है, वे आत्मनाशक हों । मगर मैं असी बातोंकी दलीलके लिअ सम्भावना मान लेनेसे आगे हरगिज नहीं जा सकता । नीति और शास्त्रके नाम पर होनेवाली ये सब बातें मुझे बड़ी खतरनाक दीखती हैं । मैं चाहता हूँ कि झूठी दयासे, अधीरतासे और अपने क्षणिक अनुभवोंसे अिन नये विचारोंके जो फुआर अड़ रहे हैं, अनसे हमें भीग न जाना चाहिये । और हिन्दुस्तानकी हालतको देखते हुओ अभी तो अिन बनावटी अपायोंके लिअ यहाँ कोअी गुंजायश है ही नहीं । जहाँ असंख्य मनुष्योंके शरीर नष्ट हो गये हैं और मन कमजोर हो गये हैं, वहाँ विषयकी अिच्छा होते ही असे पूरा करने लगें तो हमारी अन्नति बिलकुल मारी ही जायगी । अिन अपायोंका सहारा लेनेवाले लोग तो असलमें नामर्द-जैसे हैं । अखबारों में जो विज्ञापन आते हैं, अन पर नजर डाल लेना। यह बात मैं विस्तृत अनुभव परसे कहता हूँ। 'नीतिनाशके मार्ग पर' के जो लेख लिखे थे वे हर हफ्ते आनेवाले शक्तिहीन विद्यार्थियों और अध्यापकोंके पत्रोंके जवाबमें लिखे गये थे । हिन्दुस्तानके नौजवानोंको तो अपने पर जब करके भी संयमका पाठ सीखना है । लड़कियोंकी भी बड़ी अजीब हालत है । आश्रममें पली हुी. जैसी पंद्रह सालकी छोकरी शरीरसे कमजोर होने पर भी शादीकी माँग करे, यह कैसी विचित्र बात है! पंद्रह वर्षकी लड़कीको विकार क्यों पैदा हों ? मगर हमारा वातावरण ही मैला है । बचपनसे ही लड़कों और लड़कियोंको विकारके प्याले पिलाये जाते हैं । जैसे लोगोंको विकारोंके वश होनेका धर्म सिखानेके लिओ मैं तो जरा भी तैयार नहीं हूँ। मगर अब अिस बातको नहीं बढ़ागा। अितनेसे तुम मेरे विचार जान सकोगे ।" देवदासका कल तार आया । अिसमें बुखारकी तफसील थी । १२ दिनसे बुखार आता है । नरम मोतीझिरेकी शंका होती है । ज्यादासे ज्यादा १०२° और पिछले तीन दिनसे १००° से नीचे है। हवा बहुत ही खराब है। आपका पत्र नहीं आया । बापू कहने लगे "हवाकी बात अिसलिभे लिखी है कि आप मेरा तबादला करा सकते हों तो करा दें।" सुबह जिस पर विचार कर रहे थे । वल्लभभाभी कहने लगे बदलवा ही देना चाहिये।" बापू कहने लगे-“किसीके मारफत तो हरगिज नहीं । अर्जी देनी हो तो खुद हमी दें। मगर जी नहीं करता । हरिलाल दक्षिण अफ्रीकाकी जेलमें बहुत ही खराब जगह पर था । मगर अपना तबादला सुसने खुद ही कराया था, मैंने मांग नहीं की थी।" वल्लभभाी कहने लगे - " हम कहाँ कैदी हैं ? यहाँ हालत दूसरी है, दरखास्त भेजनी चाहिये। " अिसलिओ अन्तमें बापूने मान लिया और हेलीको तार भेजा कि मेरा लड़का किसी भी २२६ . "असे दा