पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२५१

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you I "My dear Lauri, "Prof. Horace Alexander reminds me of your existence and tells me how weak you are. Of course I remember you perfectly. Weak in body you may be, but the very first time I met saw how strong you were in will. And if God wants more service from you in your present existence, He will give you sufficient strength of body. For those who have faith in God, life and death are alike. Ours is to serve till the last breath. Do write to me when you can. Love from Mahadeo. Yours Bapu "P.S. I write nothing about ourselves as you must know all there is to know. "प्रिय लॉरी, “प्रो० होरेस अलेग्जेण्डर मुझे तुम्हारी याद दिलाते हैं और कहते हैं कि तुम बहुत बीमार हो । तुम्हें मैं जरा भी नहीं भूला हूँ। तुम शरीरसे कमजोर होगी, मगर मैंने जबसे तुम्हें देखा है तभी से जान लिया है कि मनसे तुमबड़ी जबरदस्त हो । और अगर भीश्वरको तुम्हारे अिस शरीरसे सेवा करानी होगी, तो तुम्हें शरीरसे भी मजबूत बनायेगा । जिन्हें अीश्वर पर श्रद्धा है, अनके लिओ मौत और जिन्दगी बराबर है। हमारा फर्ज तो आखिरी दम तक सेवा करना है । तुम लिख सको तब जरूर लिखना । महादेवकी तरफसे प्यार । बापूके आशीर्वाद " पुनः- हमारे बारेमें कुछ नहीं लिख रहा हूँ। जानने लायक सब तुम्हें मालूम ही होगा ।" बच्चे तरह तरहके सवाल पूछते हैं. " हाथसे बरतन मलने और पाखाने साफ करनेमें सेवा कैसे हुी ?" अन्हें लिखा बरतन मलने और पाखाने साफ करनेका काम आम तौर पर अच्छा नहीं लगता। अिसलिओ खास जातियोंसे कराया जाता है । यह दोष है । अिसलि जो परोपकारकी भावनासे यह काम करता है वह सेवा करता है।" अक लड़की लिखती है आप विल्लीके बच्चोंको अितना खेलाते हैं और गोदमें बिठाते हैं, मैं भी बिल्ली पैदा होती तो कैसा अच्छा होता ?" बापूने असे लिखा " बिल्ली के बच्चे मेरी गोदमें बैठते हैं, वैसे ही बच्चे भी बैठते है । बिल्लीके बुद्धि नहीं है, हमारे बुद्धि है । भिसलिओ बिल्लीका जन्म चाहने लायक तो नहीं कहा जा सकता । 66 - - » २२८