सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२६७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

"नारणदासके बारेमें मेरा पूरा विश्वास है । वह कहे कि मुझे शान्ति है, तो मैं अशान्ति माननेको तैयार नहीं हूं। मैंने असे खुब चेता दिया है । दूर बैठा हुआ अब असे तंग नहीं करूँगा। नारणदाममें अनासक्तिके साथ काम करने की बड़ी शक्ति है । अनासक्त हमेशा आसक्तसे बहुत ज्यादा काम करता है, और फुर्सतमें हो औसा दीखता है। वह सबसे बादमें यकता है । सच पूछो तो असे यकावट मालूम ही नहीं होनी चाहिये । मगर यह तो हुआ आदर्श । तुम वहाँ मौजूद हो, अिसलिओ अगर तुम्हें अशान्ति दिखाओ दे और यह लगे कि नारणदास अपने आपको धोखा देता है, तो तुम्हारा धर्म मुझसे अलग होगा । तुम्हें तो नारणदासको सावधान करना ही चाहिये । मैं भी वहाँ होश्रू और वह प्रत्यक्ष जो कहे अससे दूसरी ही बात देखें, तो जरूर असे चेतावनी दूं । तुम्हारी चेतावनीके बावजूद वह तुम्हारा विरोध करे, तो तुम्हें असका कहना मानना चाहिये । जब तक तुम असे सत्याग्रही मानती हो तब तक । की बार हमें अपनी आँखें भी धोखा दे देती हैं । मुझे तुम्हारे चेहरे पर अदासी दिखे परन्तु तुम अिनकार करो, तो मुझे तुम्हारी बात मान ही लेनी चाहिये । मुझे यह भय हो या शक हो कि मुझसे तुम छिपाती हो तो दूसरी बात है । फिर तो तुमसे पूछनेकी बात नहीं रह जाती । जाननेके लिभे मुझे दूसरे साधन पैदा करने चाहिये । मगर आश्रमजीवन तो अिसी तरह चलता है । असकी जुनियाद सचाओ पर ही है । वहाँ अच्छे हेतुसे भी धोखा नहीं दिया जा सकता । “४ जुलाीकी बाट जरूर देखना । यह सोचनेकी बात है कि किस सालकी ४ जुलामी । साल कोी भी हो । महीने और तारीखका निश्चय हो जाय तो भी गनीमत है । और किसी महीनेका या दूसरी तारीखका अिंतजार तो नहीं करना पड़ेगा ? यह ४ जुलाी बीत जाय, तो १९३३ की जुलाी तक शान्त रहना चाहिये ।" मीरा बहनको पत्र लिखा था। असमें बापूने अपने स्वास्थ्यके विषयमें जरा विस्तारसे हाल बताया था। अलोना कैसे छोड़ना पड़ा, पतले दस्त हुओ वगैरा । मेजरने कहा कि पत्रमेंसे यह हाल निकाल देना चाहिये। बापने अन्दर लिख दिया " अिसमेंसे कोभी बात प्रकाशित न की जाय। " बेचारा कटेली पत्र वापस ले गया । मेजर कहने लगे " नहीं, दूसरा ही पत्र लिखा जाय । अिससे काम नहीं चलेगा। कानून असा है कि स्वास्थ्यके समाचार अिस तरह न दिये जायँ। और मीरा बहन पर तो सरकारकी आँख है । अिसलिमे यह पत्र सरकारके पास गये बिना नहीं रहेगा।" वल्लभभाभीने पूछा क्या कुछ दिन पहले अक लड़का यहाँ मर गया या ?" मेजरने ठण्ढेपनसे कहा बोले. "कितना बड़ा था ?" - "हाँ" बापू २४४