पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२९६

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worse 35 IL दल के साथ समझौता करनेमें जितनी देर होगी, हिन्दुस्तानकी समस्या अतनी ही पेचीदा बनती जायगी। आज वल्लभभाभीने संस्कृत सीखना शुरू किया । सातवळेकरकी पाठमालाके २४ भाग आये । टॉमम केम्पिसकी पुस्तक बेहद शान्ति और आराम देनेवाली है। गीता और हमारे सन्तोंके वचनकि साय पंग पग पर साम्य तो पाया ही जाता है : "He who only shunneth temptations outwardly and doth not pluck out their root, will profit little, nay, temptations will soon return, and he will find himself in a condition. "जो सिर्फ बाहरसे विषयोंको छोड़ता है, मगर जइसे नहीं अखाड़ फेंकता, असे थोड़ा ही लाभ होता है । असे फिर मोह होगा और असकी हालत पहलेसे भी ज्यादा बिगड़ेगी। तुलना करा : 'काम क्रोध लोभ मोहन ज्या लगी मूळ न जायजी, संग- प्रसंगे पांगरे वगैरा । और : 'अिन्द्रियाणां हि चरता यमनोनुविधीयते, तदस्य हरति प्रज्ञा वायुनावमिवामसि' का मुकाबला करो : For as a ship without a helm is driven to and fro by the waves; so the man who is negligent, and giveth up his resolution, is tempted in many ways. "जैसे पतवारके बिना जहाज लहरों द्वारा अिधर अघर फेंका जाता है, अिसी तरह जो भिन्सान गाफिल रहता है और अपने निश्चयों पर कायम नहीं रहता, वह लालचोंमें अिधर अधर भटकता है।" मेजर भण्डारीने खबर दी कि बापूके सब पत्र - यहाँ आने और जानेवाले. सरकारको भेजनेका हुक्म मिला है | विलायत जानेके बारेमें ८-७-३२ राय माँगनेके लिओ बिड़लाका ओक पत्र आया था। असका बापूने जवाब दिया था कि : “ मेरी राय सबको मालूम है और मैं यहाँसे जाने या न जानेके बारेमें राय नहीं दे सकता।" यह पत्र सरकारके हायमें गया । असकी पूछताछ हुी और असा लगता है कि असी परसे यह हुक्म हुआ है । सरकारका हुक्म यह था कि यहाँसे जानेवाले सब गांधीके पत्र सरकारको देखनेके लिअ भेजे जाय । अिस आदमीको औसा लगा कि यह तो हमपर अविश्वास किया जा रहा है। अिसलि अिसने लिख दिया कि तब तो यहाँ आनेवाले सारे पत्र भी भले सरकार ही देख ले ! अिसलि अिस सप्ताहमें कोभी पत्र नहीं आया। जिस तरह मुलाकातें बन्द हो गयीं, और शायद कागज पत्र भी काम क्रोध लोभ मोहकी जब तक जड़ न जायगी, मौका पाकर वे फिर जाग्रत हो जायेंगे। म-१८