बेकार गये । सत्र पकड़े गये, खास न्यायालयमें मामला चलवाया गया और सबको फाँसीकी सजा दिलवामी गयी। आजके छोटे-छोटे अनुभव भी सब लिखने लायक हैं। सुबह चार बजे प्रार्थनाके बाद नीबू और शहदका पानी पीते हैं । २२-३-३२ अवलता हुआ पानी शहद और नीबूके रस पर अँडेला जाता है । फिर जब तक पानी पीने लायक न हो जाये तब तक राह देखते हुये हम लोग कुछ मिनट तक बैठे रहते हैं, या बैठे-बैठे पढ़ते रहते हैं । कटसें बापूने अपने पानी पर कपडे का टुकड़ा ढाँकना शुरू किया । आज सवेरे पूछने लगे " महादेव, तुम्हें मालूम है यह कपड़ा क्यों ढाँकता हूँ ? छोटे छोटे जन्तु हवामें जितने होते हैं कि पानीकी भापके मारे अन्दर पड़ सकते हैं, अनसे बचाव हो जाता है ।" वल्लभभाभी सदाकी तरह बोले हद तक हमसे अहिंसा नहीं पाली जा सकती।" वाघ हँसकर कहने लगे तो नहीं पाली जा सकती, मगर स्वच्छता तो पाली जा सकती है न!" " अिस ." अहिंसा "चलो दुसरे अखबारोंने अपने ग्राहक बढ़ानेके लिओ की तरकीबें की हैं। मिसी तरह 'कानिकल' में अनेक प्रकारकी प्रतियोगितायें आती हैं। आज कुछ चित्रोंसे बताये गये धन्धोंके नामोंकी प्रतियोगिता थी । बापू कहने लगे वल्लभभाी, नाम सुझाने लगिये, अिनाम लेना है न?" और सचमुच चिट्ठी लिखानेका जो काम कर रहे थे, असे छोड़कर बापू अिस विनोदमें पड़ गये । सारे नाम लिखे और फिर मुझसे कहने लगे " महादेव तुम अक्स, वाय, जाटके नामसे मिन्हें भेज दो।" शामको मैंने पूछा 'बापू, सचमुच आप चाहते है कि में भेज दूं ?" यापू कहने लगे " जिसमें क्या है ? जिसमें थोड़ासा बुद्धिका झुपयोग है और निदाप मनोरञ्जन है।" हमने तय किया कि अिसके जवार दायामाओके मारफत भेजे जायें । गुप्टेिण्डेष्टने मुस्किलसे ही बापू कोमी रियायत माँगते थे। लेकिन पगोटा और आकाग-दानका अन्द, अभी अभी जितना शोक बढ़ गया है कि प्रण आने की दिन पहिलसे ही वे असी बातें करने लगे थे : ग्रहण कर दियाभी देगा, कहाँसे दिग्याभी देगा ? आज सवेरे सुपरिटेण्डेण्टसे पूछा " गामनेका दम्याजा और दीयार ग्रहण देखनमें आड़े आयेंगे, क्योंकि ग्रहण मवार को शुभ होता है और अम वक्त चाँद दीवारके नीचे होनेके कारण देवा नहीं माना । परन्तु आप दरवाजा खुलवा दें, तो हम ग्रहण देख सकते २८
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