पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३८९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

> जायगा कि अिस आदमीने यह कदम कैसे झुठाया ! यह बात असे आघातसे ही समझमें आ जायगी । देखो न मैंने अिस पत्रमें कुछ भी बहम नहीं की है । नहीं तो क्या मैं अक बड़ा तोहमतनामा नहीं बना सकता था ? मगर मैंने यह अक चीज ले ली, और असके लिओ मुझे अपनी जान लड़ा देनी है । यह जीवन अधिक अदात्त अद्देश्यके लिअ सुरक्षित रख छोड़ा था, लेकिन यह प्रसंग आ गया । अब क्या हो ? और यह सत्याग्रह कांग्रेसियोंके खिलाफ थोड़े ही है ? वे तो बेचारे जेलोंमें पड़े हैं। यह सत्याग्रह तो गैरकांग्रेसियोंके खिलाफ है, ताकि झुनकी समझमें आ जाय कि वे क्या कर रहे हैं । देखो तो अछूनोंके साथ आज जो कुछ किया जा रहा है, असे कहीं कोसी देखनेवाला है ? यह जड़ता भी मुझे परेशान कर रही है । यह जड़ता औसे अपायोंके सिवा . किस तरह मिटाी जा सकती है ? अछूतोंको अलग मताधिकार देनेसे क्या होगा, अिसका विचार ही मुझे कँपा रहा है । दूसरी कितनी ही जातियोंको अलग मताधिकार दिया जाय तो अससे मैं निपट लूंगा, मगर अिनसे निपटनेका मेरे पास अिसके सिवा दुसरा अपाय नहीं है। अछूत भी बेचारे कहेंगे कि यह आदमी तो हमें चाहनेवाला है। तब हमें थोड़ेसे ज्यादा हक मिलते हैं, तो यह किस लिओ सत्याग्रह करता है ? हम अलग मत देंगे तो भी अिसके साथ रहकर ही देंगे न ? अन्हें का पता हो सकता है कि अिससे तो हिन्दुओंके दो भाग हो जायेंगे और छुरियाँ चलेंगी, मारकाट मचेगी, अछूत गुण्डोंके साथ मुसलमान गुण्डे मिल जायेंगे और हिन्दुओंके टुकड़े कर डालेंगे ? क्या यह सब सरकारने नहीं सोचा होगा ? मैं मानता ही नहीं कि यह चीज असकी कल्पनाके बाहर थी। और जैसे कुछ बाकी रह गया हो, अिसलिओ जिसमें अविनको भी मिला लिया । केण्टरी कहता है कि जहाँ अर्विन न हो वहाँ हमें सन्तोष नहीं होगा; अिस ीसाओ अविनने आकर जिसके करनेमें भाग लिया!" "नहीं, वल्लभभाभी अिस चीजके पहलेसे मालूम होनेमें कोभी फायदा नहीं, सब छीछालेदर हो जायगी । अचानक भाका होना ही ठीक है। हाँ, आपको औसा लगता हो कि यह भयंकर भूल हुी है तो दूसरी बात है। वैसे आप दोनों तो अिसमें शरीक हैं, अिसलिओ आपकी जिम्मेदारी जरूर है । मगर अंतिम जिम्मेदारी तो मेरी ही है, क्योंकि मुझे जो सूझ गया वह कर डाला । यह चीज ही जैसी है कि अिसमें किसीकी सम्मतिकी जरूरत नहीं होती । बम्बीके दंगोंके बारेमें मैंने जब अपवास किये, तब दास और नेहरूने मुझे कहा ही था कि हमसे पूछे बिना आप यह कैसे कर सकते हैं ? मैंने अन्हें समझाया था कि भाभी, मैं यह कांग्रेसीकी हैसियतसे नहीं, अिन्सानकी हैसियतसे कर रहा हूँ। मैं अक खास धर्म पाल रहा हूँ और असके अनुसार ३७०