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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३९४

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चमकते हुमें नजर नहीं आते । भिमसे महोगा दो सा | और शाश्वत निन दि मनुष्कर्म करने की पर गाHिITS वचन अद्भुत करने की जीमें आती। गौध अपार BRE यह है कि जो कममें अम और का मानही है, वही योगी है, वही पूरा कमी है। मगर यह नो ने भने भारत लिखी । गीता श्लोक मिसालों शुमन Fिirit वही मेरे अनुभवमें आगामिन शाबानो भनुमान है, अन् मैं गुदा नहीं करता। मेरे अनुमानित in rgni और वे शायद गोतामेंगे विरोधी यमन भी गुहार है। और लोक अद्भुत करता है, संभव र अन्ही मोका रे ग IM अपने अनुभव के समर्थनमें सुस्त फर म भिगोग अनुमा मान बारेमें मुझे किसी तरहका आमद हो हो नी माना" बापने कहा कि अपवा के बारेमें फोभी शंका हो ना पूछ लेना । मामा कहने लगे यह घटना घट जाने के बाद मर गुर मा आ471 आज भले ही समझमें न आता दो। और आज भासे पाहा. कागा है ? जो होना था सो हो चुका । मेरा कहना माना तो यह नियन आता । मापने वद पर लिया, सिलिने वाला दिया! यह प जैसे ही हैं कि आप किसी तरह नल वी ती पिष्ट रहे।" । रातको कमी कभी बरसात आ जाती है तब पाट अठाकर परामहमें माना भारी पड़ता है। अिसलिम बापूने मेजरते हलकी म्पाट गोगी। यद करने लगा कि "नारियलकी रस्सीकी चारपाी है, वश अगसे काम चलेगा।" यान कहा "हाँ" मेजर बोला आप कहें तो नारियलकी सी निकरवाकर अग पर निवाइ बुनवा दी जाय ।" शामको खाट आयी । बापू काहने टगे-"यह मुझे पसन्द है, जिसपर निवाइ चहानेकी कोमी जरूरत ही नहीं। मेरा विस्तर आज सिसी पर करना ।" वल्लभभाभी कहने लगे "क्या कहा ? जिस पर भी सोते होंगे ? गद्देमें नारियल के बाल क्या कम हैं, जो नारियलकी रस्सी पर मोना !" बापू- " लेकिन देखिये तो, यह खाट कितनी साफ रह सकती है।" वल्लभमाजी आप भी खूब हैं ! जिस पर तो चारों कोनों पर नारियल बाँधना बाकी है । असी बदशगुन साटसे काम नहीं चलेगा । जिस पर कल निवाड भरवा दूंगा। 1" ३७५ -