पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/४०३

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कल . 66 " बहनने के साथ शादी करनेका पत्र भेजा था और हम तीनोंके आशीर्वाद माँगे थे। बापूने तीनोंकी २८-८-३२ तरफसे आशीर्वाद भेजते हुओ लिखा "तुमको और . को हम तीनोंके आशीर्वाद हैं। हमें आशा है कि तुम्हारा युक्त जीवन सुखी होगा; तुम दोनोंको पूरी आयु प्राप्त होगी और हमेशा सेवा- परायण रहोगे। तभी तुम्हारा सम्बन्ध अचित और सफल माना जायगा ।" पतिके जीतेजी हिन्दू स्त्रीको विवाह करनेकी अिजाजत बापूकी तरफसे दी जानेका और हिन्दू समाजमें असी घटना होनेका यह पहला ही मौका है । मिस अलिजावेथ हावर्डने अक फेलोशिप (भाभीचारा) सभाका वर्णन भेजा था । असे लिखा: This fellowship is a difficult thing. It can come only through constant practice in all walks of life and among all the different races and nationalities." "भाजीचारा कठिन वस्तु है । जीवनके तमाम क्षेत्रोंमें और अलग अलग जातियों और राष्ट्रोंके बीच भाओचारा रखनेकी हमेशा कोशिश हो तभी यह कायम हो सकता है।" आश्रमकी सारी डाक आज बापूने दोपहर होते होते पूरी कर ली थी। (फिर भी ५४ पत्र थे!) लड़के लड़कियोंके पत्रमेंसे " आश्रममें जो कुछ मीखनेको मिल रहा रहा है, असे अच्छी तरह सीख लो । बड़ीसे बड़ा शिक्षा सत्यकी है यह याद रखना ।" विद्रोहके बीज तो जहाँ तहाँ बोये ही जाते हैं । देखिये यह पत्र : " जिसके साथ सगाी हुी है, असका अितिहास जान लेना चाहिये। पसन्द न हो तो सगाी छोड़नेके लिअ कह दो । शादी करनेसे साफ अिनकार करने में संकोच नहीं करना चाहिये । मगर.तुम्हें यह सब करना हो तो झूठी शर्म छोड़ देनी चाहिये । विनय न छोड़ना चाहिये, और दुःख पड़े तो असे सहनेके लिअ तैयार रहना चाहिये । जैसा करनेवालेकी पवित्रता असी होनी चाहिये कि असका असर पड़े बिना रह ही नहीं सकता ।" "गुस्सा आये तब चुप हो जाना और रामनाम लेकर असे निकाल देना चाहिये ।" वल्लभभाभीके लिफाफोंकी और संस्कृतकी पहामीकी तारीफ हर पत्रमें करते हैं । कल काकाके खतमें लिखा था कि "अन्चैःश्रवाकी गतिसे ३८०