पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/४१३

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मैंने कहा मैंने कहा " यह मैं समझता हूँ। परन्तु पवित्रसे पवित्र लड़की भी अक तमाचेसे जालिमको कायमें नहीं कर सकती, और कमी आदमी हों तो मजबूर हो जाती है।" बापू. "मैं तो अिसे असंभव मानता ही हूँ। मगर मेडिकल ज्यूरिस्पुडेन्स (चिकित्सा-कानून) भी नामुमकिन समझता है। जब तक स्त्री 'रिलेक्स' नहीं करती (ढीली नहीं पड़ती), तब तक कामी पुरुष अपना काम पूरा नहीं कर सकता। मरनेके लिअ तैयार नहीं होती अिसलि स्त्री अिच्छा न होने पर भी 'रिलेक्स' करती है, अदासीन हो जाती है और अिस तरह कामीके वशमें हो जाती है। जो जानको हथेली पर ले लेती है, वह या तो बन्धन तोड़ डालती है या अपनेको खतम कर डालती है । अितना जोर हर प्राणीमें है। बात यह है कि जीनेका लोभ अितना ज्यादा रहता है कि - मनुष्य अितना जोर लगाता ही नहीं, जिससे मरनेकी नौबत आ जाय। जो स्त्री अितना जोर लगायेगी, वह अक आदमीके विरुद्ध जूझनेमें पवित्रताकी भावनाओंसे भर जायगी और जूझनेमें अपनी पसलियों तोड़ डालेगी।" मार अितने आत्मबलवाली स्त्रीको तमाचा मारनेकी बात सुझानेकी जरूरत नहीं है। असे तो कोभी न कोी अपाय सूझ ही जायगा।" वापू यह सब तो मैं जब बोलूँ तभी समझा । अक बहन श्रीमती सत्यवती चिदंबर अपनेको हिन्दुस्तानी अिसाभी बताकर लिखती हैं: “You will be far greater if you accepted Him and tried to be a true Christian. It is for the sake of India you love that I plead with you to give Jesus a chance in your heart and in your life. Christ is waiting with outstretched arms to accept India. You cannot be an orthodox Hindu and follow the principles of Jesus as given in the Sermon on the Mount. Jesus is the only Savior of the world." आप अगर जीसाको स्वीकार करें और सच्चे भीसाश्री बननेकी कोशिश करें तो जितने बड़े आप हैं अससे ज्यादा बड़े बन जायें। जिस हिन्दुस्तानको आप चाहते हैं, झुसीकी खातिर मैं आपसे अपने हृदय और जीवनमें अीसाको स्थान देनेकी अपील करती हूँ। जीसा तो हाथ फैलाकर हिन्दुस्तानको अपनानेके लिझे खड़े हैं । यह नहीं हो सकता कि आप सनातनी हिन्दू बने रहें और ीसाके गिरि-प्रवचनके सिद्धान्तों पर चल सकें। अक जीसा ही दुनियाके तारनहार हैं। "