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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/६४

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खून करनेवालेसे जेलमें मिलने गयी और असके साथ भावपूर्ण हृदयसे बातें की। क्या अिससे व्यादा हृदयद्रावक मुलाकात कोी हो सकती है ? अक तरफ झुंचे कुलको अक सुन्दर विधवा अपने पतिके खूनीसे पश्चाताप करनेकी प्रार्थना कर रही है, असके हाथमें बाअिबल रखती है और असे ीसामी दयाधर्मका अपदेश करती है । दूसरी ओर अक विप्लववादी स्वप्नशील नौजवान है। असका दृढ़ विश्वास है कि असने अक विधि-निर्मित कार्य पूरा किया है । असको यकीन है कि असने जो खून बहाया है और जो आहुति देनेके लिअ वह तैयार बैठा है, असके परिणाम स्वरूप वह दुनियाको पहलेसे ज्यादा अच्छी बनाकर जा - कैदखानेकी कोठरीका दरवाजा खुला और ग्रांड डचेस अकेली अन्दर दाखिल हुी । आश्चर्यचकित चेहरेसे कालीवने अपने मुलाकातीसे पूछा आप कौन है ? और किस लिअ आयी हैं ?" अलिजावेथ “ मैं प्रांड डयूककी विधवा हूँ । भला, तुम्हारा अन्होंने क्या कसूर किया था ?" कालीव “ मुझे आपका खून नहीं करना था । अपने हाथमें बम लिये मैंने आपको अपने पतिके साथ बहुत दफे देखा था, लेकिन अिसलिले बम नहीं फेंका कि आप साथ हैं । अलिजावेथ ." मगर भला, तुम्हे यह खयाल नहीं आया कि अनका खुन करके तुम मुझे भी मार रहे हो ? अस निषिको मारते समय तुम्हारे हृदयमें जरा भी दया नहीं आयी ? मगर जो हुआ सो हुआ । अब तुम्हारी मोतः नजदीक है । तुम पश्चाताप करो । प्रभुकी दयाकी याचना करो, तुम्हारे लिये यह वाअिचल लायी हूँ।" अलिजाबेथने असके हाथमें बाअिबल रखी, तो असके पतिका खून करनेवालेने अलिजावेथके हाथमें अपनी डायरी रख दी और कहा बाअिवल पहँगा । आप मेरी डायरी पढ़िये । अिस डायरीमें आप देखेंगी कि मुझे खून कैसे करना पड़ा, हमारे ध्येयमें रुकावट डालनेवालोंका नाश करनेकी प्रतिज्ञा मैंने किस तरह ली और पूरी की।" दोनोंने अक दूसरेसे विदा ली । वह युवक अचल साहसके साथ मृत्युसे मिला । दोनोंके बीच - खुनी और असके शिकारके बीच-बाहरी दृष्टि से बड़ी खाी पड़ी हुी दीखती है । मगर शायद अिस हत्यारेके अन्तरमें क्योंकि वह नास्तिक नहीं था अस श्रीसाी महिलाके साथ, जिसने असे प्रायश्चित्त करनेको कहा था, ज्यादा गहरा समभाव था । गन्दी साहित्य भन्दिर,

  • पुरसकार*

श्री गंगानगर (बीकानेर) -