पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/६६

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Not) में बिलकुल हूबहू बयान किया है । ग्रांड ड्यककी हत्याके समय यह आदमी अिस मंथन से ही गुजर रहा था । बहुतसे रूसी क्रान्तिकारियोंकी तरह वह भी विनीत बनता जा रहा था। फिर तो असने अपनी सारी ताकत बोलोविक हलचलके खिलाफ लगा दी। यह आदमी अक बार होरकी ट्रेनमें था । वही तिलमिलाहट, वही भावनाकी सूक्ष्मता, वही बुद्धिका चमत्कार और वही अक विषयसे दूसरे विषयमें प्रवेश करनेका लगभग बिल्ली-जैसा चापल्य । बादमें किसी स्त्रीने असे धोखा दिया। वह स्वस गया । वहाँ अस पर मुकदमा चला । असने अपने पहलेके साथियोंको फंसाया और अपने सोवियट विरोधी होनेसे जिनकार किया । अन्तमें कैदखानेकी खिड़कीमसे कूदकर असने आत्महत्या कर ली। यह विचित्र कहानी असे खूब अच्छी तरह जाननेवालोंके भी मानने में नहीं आती 10 अितनी बात कहकर होर फिर अलिजाबेथकी बात पर आता है। " असने अपने सारे गहने - विवाहके मंगलसूत्र रूप अंगूठी तक बेच डाले । असमंसे तीसरा हिस्सा राज्यको दे दिया, तीसरा सगे- सम्बन्धियोंको दिया और तीसरा धर्म कार्यके लि)- अस्पताल, दवाखाने, अनाथालय, पाठशालायें, क्षय रोगियोंके लिअ आरोग्यालय वगराके लिओ दिया। खुदने राजमहल छोड़ दिया । ग्रहाचारिणियोंका अक सेवाश्रम स्थापित किया और असमें रहने लगी। असकी संस्था असाधारण बनी। आम तौर पर अंते आश्रमोंमें शामिल होनेवाले पाठपूजा, ध्यान, जप, तप, व्रत, अपवास, वगैरामें ही मशगूल रहते हैं । अलिजावेथने अपने आश्रममें भिन बातोंके कड़े पालन पर जोर अवश्य दिया, मगर असके साथ समाजसेवाकी प्रवृत्तियों पर भी अतना ही जोर दिया । आश्रममें सैकड़ों बहनें शरीक हुीं । अनमेंसे बीसेक बहनोंने तो आजीवन ब्रह्मचर्यकी दीक्षा ली । दूसरी आश्रमवास तककी दीक्षावाली वनीं । अिन आश्रमवासिनियों में राजकुमारियों थीं, पढ़े-लिखे परिवारोंकी स्त्रियाँ थीं और किसान वर्गमसे भी थी। अक जवान किसान स्त्री तो जापानकी लहामीमें सिपाहीके भेषमें लड़ी थी और असे चाँद मिला था। जिस सेवाश्रमका काम खुब चला । अिसका काम भितना मशहूर हो गया था कि कभी जगहोंसे नसों के लिये भिस आश्रममें माँग आती थी। अिसके अस्पतालमें कठिनसे कठिन केस आते थे। अलिजावेथ श्रेष्ठ नर्स मानी जाती थी। असका अनाथालय विभाग सारे युरोपमें अत्कृष्ट माना जाता था । अिसके खर्चके लिये दानकी बाढ़ आती रहती थी। जब यह बात जाहिर हुी कि क्षयके असाध्य माने जानेवाले बिलकुल गरीब वर्गके रोगियों के लिओ अलिजाबेथने आश्रम कायम किया है और मरनेको पड़े हुझे बीमारोंको वह रोज देखने जाती है, तब असके अिस कामसे. ,