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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/९५

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बुलाया और बातचीत करके झुन्हें नौकर्गिक लिने अयोग्य ठहराया ! जिनमें आत्मविश्वास जरा भी न हो, अनके लिये यह किला नोचने लायक है। और आशाका संचार करनेवाला है। मुझे वारवार विचारने पर माल लाता है कि वापूको वापृ बनानेवाली चीज झुनकी नयको अगवण्ड अपासना है । सिमी नत्यते निर्भयता आयी, जिसते जीवरमें श्रद्धा रख कर चलने लिो सत्य प्रयोगोंका मागे खुलता ही गया। नत्यको अखण्ड मुपासना और सत्यका आवा कन्नेकी पूरी तैयारी मनुष्यको किन चोरी पर नहीं पहुंचा देगी, यह कहना मुदिकल है। "लेकिन ७५) रपयेकी नौकरी लेनेकी बात आज कैसे आयो? कुछ मानने नहीं आता।" बाट बोल - "भाजी, मुझे कांनी महत्वा- कांना ही नहीं यो । अिनके निवा और कुछ भी खयाल नहों या कि किमी तरह गुजर हो जय और बही पड़े हों वहाँ कुछ न कुछ सेवा करते रहें।" मैन बात पूछा वल्लभभाीने जब यह बात सुनी तो अपनी ओक मजेदार बात नुनामी "मेरे मामा म्युनिटिलिटीमें ओवरवियर थे। अनके दिलों यह दयाल या कि यह लड़का क्या पड़ेगा ? लाओ, ठिकाने लगा दें। मिनालझे वे मुझे बहुत वार करते " अरे, तु आ डा। तुझे नुकतनी जाह दिला दूंगा और तु कल्ले ही कमाने लगेगा ! मीराबहनको पत्र लिख लिखने वापूने पूछा "inexhaustible हिजे त्या ? जिनमें ' है या नहीं? मैंने लिवा है।" मुझे भी शंका हो गयी | डिक्शनरी देखी, सुनमें 'h' निकल । लिल बोले- "जिनना पानु देवो तो समझने आ जायगा।" धातु शुरु ही ले हेता था : शब्द haus to drar. व वाटने कहा "मगर मैं दूसरे जितने ही है, जिनमें नहीं आता। वे कौनते है ?" मैने कहा बाने कहा-"नहीं, नहीं, जिनमें ते' है ही ने कहा "हगिज नहीं; जिबने मूल onus है।" बाने कहा- "नहीं नहीं, जिनमें honour मुल हेना चाहिये ।" ने कहा "जिनमें तो इन बाई लगाए हैं। और रीत होगी।" विश्वनने निकाली और में जीता । फिर दुतरा बन्द inexorable निकला । जिन पर हम दोनर कहने लगे-"जिस तरह लेटिन घानु जननेने बड़ा अये है। किनी भी घायु जान लेने पर अनेक अपर्वत शब्दोंन अये नाल्न हो जाता है। आज मेरे 'धन्य' शन्दका कानु पूछने । जेई 'मन्य, गन्य' नन् और गर धानुने है, वैसे ही घानुले होगा? तो तिर घन्का क्या अर्थ होगा? " exoneraie. बन्य' घन् ८८