पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/९७

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करता है तो कहने लगा - यह भी कोजी ही है ! असी रूमीको भी पीजते होंगे? यह तो पालेसे जली हुी कपास है। ४-५ रुपयेके भावकी .पीजनेकी अम्दा रूी तो तब ही चुन लेनी चाहिये, जब कपासके डोडे अच्छी तरह फट गये हों। असके कपड़े अच्छे होते हैं, जिसके नहीं होते । मैंने ६०-६० गज बुननेका हुक्म दिया है !' अिसके बाद असे रसोीके काम पर रखा गया । बकरीके दुधका दहीं हम जमायें तो खुद देखता । खा भी लेता । मगर गायके दूधका दही जिस दिन हमने जमाया, अस दिन हमने कहा - 'यह दही ज्यादा अच्छा जमा है!' तो कहने लगा 'गधेकी लीदके पापड़ बनते होंगे ? यह तो जिसके बनते हैं असीके बनते हैं।' अनारकी खेतीके बारेमें बहुत बातें 'आपके आश्रममें अनार होते हैं ?' मैंने कहा 'अच्छे नहीं होते ।' तो कहने लगा -'मेहनत अच्छी नहीं करते होंगे। पानी कितना देते हैं ? असके लिये मेहनत होनी चाहिये, आसपास क्यारिया बनानी चाहिये और कमर तकका पानी भरना चाहिये ।' अित्यादि। अपना अपराध स्वीकार करता है । असके लिओ पछतावा भी असे होता है । और कहता है - 'अब अिस जन्ममें जेलखाने नहीं आअँगा । भगवानने हाथ-पैर दिये हैं, कमाकर खागा । असे कोभी भूखों नहीं मरता। मैं पकड़ा गया -अक मुसलमानने जुर्मका अिकबाल करके सबको पकड़वा दिया और खुद छूट गया अससे थोड़े दिन पहले ही अक पाटीदारने १८ बीघे जमीन खेतीके लि देनेको कहा था। मगर तकदीरकी बात है। किसीका अक पाश्री कर्ज नहीं है । सो दोसौ रुपया मैं औरों पर माँगता हूँ। हम बारैया कहलाते हैं। हम असे तो चलाळेके हैं, मगर मूल रहवासी चरोतरके हैं।" आज मौनवार था, अिसलिओ वल्लमभाजी बापूसे कहने लगे. आज चौदह सप्ताह तो हो गये । अब आपको यहाँ कब तक ११-४-३२ रहना है ? विलायत न गये होते, तो ये तीन चार महीने भी अिसीमें गिन लिये जाते । ये तो यों ही बेकार गये।" बापू हँसनेके सिवा क्या जवाब दे सकते थे?

आस्ट्रेलिया और अमरीकाकी बात करते हुओ बापू कहने लगे "अमरीकाको तो अपने धर्मकी रक्षा करनेके लिअ भागे हुओ आदमियोंने बसाया, मगर आस्ट्रेलिया तो सजा पाये हुआ अपराधियोंने बसाया जिसमें कोी शक है ? मगर आस्ट्रेलिया ही क्यों ? जिन्हें ये लोग अपने देशकी रक्षा करनेवालों और देशकी सेवा करनेवालोंके रूपमें पूजते हैं, वे सब कौन थे ? ९०