पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/९८

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ड्रेक तो पूरा दरियायी लुटेरा था । वह सर फ्रांसिस ड्रेक ! क्लाअिव कौन था ? हेस्टिम्स कौन था ? सेसिल रोड्स कौन था? बड़ा ही सटोरिया, ठग और अठा भीगीरा आदमी । असने रोडेशिया बसाया । जैसे यहाँ ीस्ट अिंडिया कंपनीका अितिहास आँखोंके सामने तैरता है, वैसा ही रोड्रा कंपनीका भी तैरता है । हाँ, अक बात है - अिन लोगोंमें अच्छे आदमी भी पैदा हुआ, जिसमें शक नहीं ।"

यह तो घड़ी घड़ी और पल पलमें देखा जाता है कि छोटी छोटी बातोंमें बापूका शास्त्रीय ज्ञान कितना है और कितना जाननेकी सुनकी अिच्छा है । आश्रमसे बीमारीके खत तो आते ही हैं और सवाल भी पूछे जाते हैं । 'वेट शीट पैक क्या किसी भी बुखारमें दिया जा सकता है?" यह पूछा गया । बापूने लिखा " जर दिया जा सकता है। सिर्फ कपड़ा अच्छी तरह निचो डाला हो और असमें पानी अक बूंद भी न रह जाय, यह देख लेना चाहिये ।" मैंने कहा अब तो युरोपमें अिफ्लुओंजावालोंको बर्फ पर सुला कर रोग मिटाया जाता है।" बापू कहने लगे- "बिलकुल समझमें आने जैसी बात है । वर्क पर आदमीको ठंड थोड़े ही लगती है। असे तो गरमी लगती है । जब कोअी क्रिया होती है, तो असकी प्रतिक्रिया पैदा होती है। हाँ, मगर वह आअिस नहीं हो, स्नो होना चाहिये । आअिसको कूट डालो और आअिसके ही टेम्परेचरमें रखा, तो वह स्नो बन जाती है । " वेट शीट पैकका बापने कभी मामलों में अनुभव करके देख लिया है । गंगा बहन जल गयी थी और अन्हें खुब जलन हो रही थी, तब वेट शीट पैक दिया था। वह याद है। अिसी तरह चेचकमें भी करते हैं। मनुने फिर दयाजनक पत्र लिखा या । असमें बताया था कि मौसीने भाभीको (हरिलालको) तीन चार तमाचे लगा दिये । बापूने लिखा - "असने तमाचे लगाये, यह अच्छा किया । अिसमें हिंसा नहीं थी, शुद्ध प्रेम था।" 1 आश्रमके अितिहासमें कल बापूने सत्यके व्रत पर विस्तारसे लिखवाया था । आजकल जान अनजानमें हमें सत्यका भंग करनेकी १२-४-३२ कैसी आदत पड़ गयी है, अिसका अदाहरण आज सुबह ही सुबह देखनेको मिला । मर्न नामका स्कॉच कैदी हमारे पड़ोसमें है । असने अिन्स्पेक्टर जनरलके लिओ रँगनेको आयी हुओ अक अटेची (पेटी) पर असका नाम अंग्रेजीमें सफेद अक्षरोंमें लिखा था । अिन्स्पेक्टर और जनरलके बीचमें जोड़नेवाला चिन्ह (-) लगाया था | नेलरने अससे कहा