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महाभारतमीमांसा
  • महाभारतमीमांसा *

कौनसी बातें होंगी। परन्तु स्मरण रहे कि- उल्लेख नहीं है कि पहले कभी हिन्दुस्थान 'पृथ्वी पर एक ही पडूक हो जायँगे और पर म्लेच्छ लोगोंकी चढ़ाई हुई थी। देवताओंके मंदिरोंका नाश हो जायगा' सेमीरामीसकी चढ़ाई काल्पनिक है। इस वर्णनसे यह सिद्ध नहीं होता कि प्रथम ऐतिहासिक चढ़ाई पर्शियन लोगोंकी बौद्ध-धर्मके ह्रासके समय महाभारतकी है, पर वे सिन्धु नदीके इस पार नहीं रचना हुई है। इसके बदले यही कहना | आये । दूसरी चढ़ाई सिकन्दरकी है पड़ता है कि जिस समय बौद्ध-धर्मका जिसने पंजाबमें अनर्थ करके राज्य बोल-बाला था, उस समयका उक्त वर्णन स्थापित किया । यह समय ईसवी सनके होना चाहिये। बोद्ध-धम्मक ह्रासक समय पहले ३२०-३०० वर्षका है। इसके बाद तो मंदिरोंकी वृद्धि होकर एडूकोंका नाश वैक्ट्रियाके ग्रीक लोगोंने ईसवी सनके हो जाना चाहिये । (५) हाप्किन्स कहता पहले २०० के लगभग पंजाबमें राज्य है-"इससे भी विशेष महत्वकी बात स्थापित किया । हमारा कथन यह है कि यह है कि कलियगक उक्त वर्णनमें यह इस समयके पहले. पचीस-पचास बतलाया गया है कि शक, यवन, वाहीक वर्षों के अन्दर, महाभारतका निर्माण हश्रा आदि म्लेच्छ राजा हिन्दुस्थानमें राज्य है। उस समय लोगोंको सिकन्दरकी करेंगे। प्रकट है कि यह बात तभी कही चढ़ाईका स्मरण अवश्य होगा । और जा सकती है जब कि इन लोगोंके राज्य इसीके आधार पर लोगोंने यह भविष्य- हिन्दुस्थानमें स्थापित हो चुके हों । कथन किया होगा कि कलियुगमें म्लेच्छों- सौथियन (शक), ग्रीक (यवन), और का राज्य होगा। यह बात निश्चित है कि बैक्ट्रियन (वाहीक) लोगोका राज्य म्लेच्छ लोगोंमें शक, वाह्लीक आदि हिन्दुस्थानमें ईसवी सन्के पहले २०० के शामिल किये जाते हैं । हिन्दुस्थानके अनन्तर स्थापित हुआ और वह कई बाहर रहनेवाले म्लेच्छ लोगोंका हाल वर्षांतक रहा। अर्थात्, इससे यह स्वा- इस देशके निवासियोंको बहुत प्राचीन भाविक अनुमान हो सकता है कि ईसवी समयसे मालूम था । यह नहीं कहा जा सन्के पहले २०० वर्षके बहुत समयके सकता कि शक लोगोंका हाल यहाँ बाद महाभारत तैयार हुश्रा । परन्तु यह उनके राज्यकी स्थापना होने पर ही अनुमान नहीं किया जा सकता । कमसे मालूम हुआ। सारांश, “शक, यवन, कम इस बातकी आवश्यकता नहीं कि वाह्रीक श्रादि म्लेच्छ राजा पृथ्वी पर ऐसा अनुमान किया ही जाना चाहिये। राज्य करेंगे। इस कल्पनाकी सृष्टि कलियुगके वर्णनमें कुछ वही बाते सिकन्दरकी चढ़ाईसे हो सकती है। शामिल नहीं हैं जो प्रत्यक्ष हुई हो, किन्तु हिन्दुस्थानमें ग्रीक लोगोंका दूसरा राज्य जिन भयानक बातोकी कल्पना की जा अपालोडोटसने ईसवी सन्के पहले १६० सकती थी उनका भी उल्लेख भविष्यरूप में स्थापित किया था। उस समयके पहले- से किया जा सकता है । इस दृष्टिसे का भी यह भविष्य-कथन हो सकता है। शक-यवनोंके राज्यके पहले भी महाभारत- कुछ लोगोंका कथन है कि महाभारतमें का काल हो सकता है। इसका विचार वर्णित भगदत्तही यह अपालोडोटस है; करनेके लिये प्राचीन इतिहासकी ओर परन्तु यह भूल है। यह भगदत्त प्राग्ज्यो- ध्यान देना चाहिये । इस बातका कहीं तिषका राजा था । (६) हापकिन्सका