पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/१०५

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ॐ महाभारत ग्रन्थका काल 8 ७६ कथन है कि-"महाभारतके एकही पाण्डवोंके मत्थे लाद दिया गया होगा। स्थानमें रोमकका नाम पाया जाता है। मनुस्मृतिमें भी साम्राज्यको कल्पना नहीं इससे कह सकते हैं कि रोमक अथवा है। उसमें वर्णित राजा लोग बहुत ही रोमन लोगोंका नाम महाभारतकारको छोटे छोटे राज्योंके अधिपति हैं। इससे सिर्फ सुनकर मालूम हुआ था। जैसे ग्रीक सिद्ध होता है कि अशोकके साम्राज्यके अथवा यवन लोगोंका हाल अच्छी तरहसे अनन्तर महाभारतकी रचना हुई होगी।" मालूम था, उसी प्रकार रोमन लोगोंका हम नहीं समझते कि वैदिक साहित्यमें हाल विशेष रीतिसे मालूम न हो, तो भी साम्राज्यकी कल्पना नहीं है। इसमें सन्देह उन्होंने रोमन लोगोंका नाम सुना था। नहीं कि वैदिक कालसे लेकर बौद्ध काल- इस बात पर विचार करनेसे महाभारत- तक छोटे छोटे राज्य थे; परन्तु हमारी का काल बहुतही आधुनिक सिद्ध होता समझमें उस समय ऐसा भी राजा हुश्रय है।" परन्तु यह भी सम्भव है कि सिक- करता था जो सबसे अधिक बलवान् न्दरके साथ आये हुए ग्रीक लोगोंसे रोमन रहता था और जो सब लोगोंसे कर लिया लोगोंका नाम सुना गया हो, क्योंकि उस करता था। इस विषयका विशेष विवरण समय भी रोमन लोगोंका राज्य और दव- श्रागं चलकर राजकीय परिस्थितिक प्रक- दबा बहुत कुछ था।अपालोडोटसके समय रणमें किया जायगा ।यद्यपि हापकिन्सका वह और भी बढ़ा चढ़ा था सही, परन्तु उक्त कथन क्षण भरके लिये मान लिया सिर्फ नाम सुनकर जानकारी होनेके जाय, तथापि ऐतिहासिक दृष्टिसे यही लिये ग्रीक लोगोंकी पहली चढ़ाई काफ़ी मानना पड़ेगा कि पर्शियन यादशाहोंके है। इसके सिवा एक बात और है। हम साम्राज्यके नमूने पर अथवा सिकन्दरके नहीं समझते कि 'रोमक' शब्दसे रोमन साम्राज्यके नमूने पर उत्तर हिन्दुस्थानके लोगोंका ही बोध होता है। सभापर्वके ५१वें प्रायः बहुतेरेभागोंमें चन्द्रगुप्तका साम्राज्य अध्यायमें कहा है-“द्यक्ष,ध्यक्ष, ललाटाक्ष. स्थापित हो गया था। इतना ही नहीं. औष्णीक, अन्तर्वास, गेमक, पुरुषादक, किन्तु यह भी कहना चाहिये कि चन्द्र- एकपाद इत्यादि स्थानोंसे पाये हुए राजा गुप्तके पहले ही नन्दोंने हिन्दुस्थानमें मगध- लोग द्वार पर रुके रहनेके कारण बाहरसे का साम्राज्य स्थापित किया था। यह दबे हुए मुझे देख पड़े।” इस वाक्यमें कथन गलत है कि अशोकके समय रोमक शब्दके आगे पीछे जो नाम दिये साम्राज्यकी कल्पना हिन्दुस्थानके निवार गये हैं, उनसे तो हमें यही मालूम होता है सियोंमें जाग्रत हुई और यह कल्पना कि 'रोमक' शब्दका अर्थ 'बालवाले' करना अशोकके पहले यहाँ न थी । सारांश, इस चाहिये । इस शब्दका सम्बन्ध रोमन कथनकी सत्यतामें कोई बाधा नहीं हो लोगोंके साथ कुछ भी नहीं है । (७) हाप- सकती कि अशोकके पहले अथवा प्रशोक- किन्सका कथन है कि "महाभारतमें के समयके लगभग महाभारतका निर्माण हिन्दुस्थानके साम्राज्यकी जो कल्पना है, हुआ है । ऊपर दिये हुए प्रमाणोंसे हाप्- वह वैदिक-कालीन न होकर आधुनिक है, किन्सके और हमारे मतमें जो अन्तर अर्थात् बुद्ध-सम्राट अशोकके साम्राज्यकी होता है वह यद्यपि बहुत बड़ा नहीं है - कल्पनासे इसकी सृष्टि हुई होगी और तथापि महत्त्वका है। हाप्किन्स द्वाप इस प्रकार हिन्दुस्थानका साम्राज्य बतलाये हुए उक्त प्रमाणोंसे यह देख पड़ता