पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/१०६

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महाभारतमीमांसा
  • महामारसमीमांसा

है कि ईसवी सनके पहले १५० के अन- तथा महाभारतका ही विचार करें, तो तर महाभारत तैयार हुश्रा; परन्तु हमारे हापकिन्सका यह मत देख पड़ता है कि मतके अनुसार महाभारत ईसवी सनके भारतका समय ईसवी सन्के पहले ४०० पहले २५० के लगभग तैयार हुश्रा; और और महाभारतका समय सन् २००-४०० हमारे इस सिद्धान्तमें उक्त प्रमाणोंसे कुछ ईसवी है । इस मतके लिये मुख्य आधार मी बाधा नहीं होती। पूर्वोक्त गुप्त-शिलालेखका.लिया गया है। परन्तु हापकिन्सने अपने मतका जो इसमें सन् ४४५ ईसवीके लेखमें एक लाख निचोड़ दिया है वह सचमुच चमत्कारिक श्लोकोके भारत-ग्रन्थका वर्णन है, इसलिये और असम्भवनीय है। उसने श्रारम्भमें हाप्किन्स सहित बहुतेरे पश्चिमी पण्डित ही कहा है कि भारतकी मूल कथाका कहते हैं कि सौति-कृत एक लाख श्लोकों- समय ईसवी सन के पहले ७०० से लेकर का भारत सन् ४०० ईसवीतक बना है। १७०० तक हो सकता है। परन्तु महा- परन्तु हमें इस बातपर आश्चर्य होता है भारतकी वृद्धिका जो समय उसने बत- कि हाकिन्सके ग्रन्थमें, जो अनेक आवि. लाया है, वह इस प्रकार है-कुरु-भारतो- कारों और नई नई बातोंसे परिपूर्ण है, की भिन्न भिन्न कथाओंके एकत्र होनेसे डायोन क्रायसोस्टोम् नामक ग्रीक वक्ताके जो भारत बना. उसका समय ईसवी उस लेखका कुछ भी पता नहीं है. जिसकी सन्के पहले ४०० वर्ष है। पाण्डवोंकी रचना सन् ५० ईसवीसे सन् ६० ईसवी कथा, पुराणोंकी कथा और श्रीकृष्णके तक हुई है और जिसमें हिन्दुस्थानके एक देवत्वकी कथाके एकत्र होनेसे जो महा- लाख श्लोकवाले इलियडका उल्लेख भारत बना, उसका समय ईसवी सन के किया गया है। यह घटना कुछ नई नहीं पहले ४००-२०० वर्ष है। इससे भी आगे है। कई वर्ष पहले वेबरने इसका पता चलकर जो वृद्धि हुई है, वह श्रीकृष्णके लगाया था और तभीसे लोगोंका ध्यान ईश्वरत्व, नीति और धर्मकी शिक्षा देने- इस ओर आकर्षित हुआ है। डायोन काय- वाले बड़े बड़े भागोंको, पुराणोंमें वर्णित सोस्टोम्को एक लाख श्लोकके ग्रन्थकी नई और पुरानी कथाओको, तथा परा- बात मलावार प्रान्तमें मालूम हुई, अर्थात् क्रमोकी अतिशयोक्तिके वर्णनोको शामिल उस समय महाभारत सारे हिन्दुस्थानमें कर देनेसे हुई है और इस वृद्धिका समय प्रचलित हो गया था। इस घटनासे सिद्ध ईसवी सनके पहले २०० से सन् २०० है कि महाभारतके समयको ईसवी सन्के ईसवीतक है । अन्तिम वृद्धि आदि पर्वके इस ओर घसीट लाना असम्भव है। हमें प्रथम भागको और हरिवंश पर्वको जोड़ने यह जाननेकी बड़ी अभिलाषा थी कि से तथा अनुशासन पर्वको शान्तिपर्वसे डायोन क्रायसोस्टोम्के प्रमाण पर पश्चिमी अलग करनेसे हुई है और इसका समय | पण्डित कैसा विचार करते हैं, परन्तु सन २०० ईसवीसे ४००ई० तक है। हमारी यह अभिलाषा कहीं तृप्त नहीं हुई। ___ यदिइस काल्पनिक वृद्धिकी भिन्न भिन्न अधिक क्या कहें, हाप्किन्सके बड़े प्रथमें सीड़ियोको हम छोड़ दें और केवल भारत तो इस प्रमाणका नाम तक नहीं है !!!