पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/१८३

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  • इतिहास किन लोगोंका है। *

के मापको शीर्षमापन शास्त्रमे महत्त्व छोड़कर) उन अनुमानोंसे बखूबी मिलता- दिया है। और, इसो मापके आधार पर जुलता है जो कि वैदिक साहित्य और भिन्न भिन्न जातियोंकी प्रायः निश्चित महाभारतसे निकाले गये हैं। अब यहाँ पहचान हो जाती है। अनेक आर्य जातियों- इसी वातका विचार किया जायगा। की तुलना करके निश्चय कर लिया गया वेदके अनेक अवतरणोंसे पहले बत- है कि पार्योकी नाक बहुत करके ऊँची लाया जा चुका है कि पञ्जाब और राज- और लम्बी होती है और चौड़ानकी पूतानेमें आर्य लोग पहलेपहल श्राबाद हुए अपेक्षा उनका सिर भी लम्बा होता थे। ऋग्वेदमें भरतोंका नाम पाया जाता है । सन् १६०१को मनुष्य-गणनाके है । ये लोग पहलेपहल आये हुए आर्य समय सर हर्बर्ट रिस्लेकी सूचनासे हिन्दु- है और आजकल सूर्यवंशी माने जाते हैं। स्तानके प्रायः सभी प्रान्तोंके कुछ लोगों के इनके मुख्य ऋषि वसिष्ठ, विश्वामित्र परिमाण शीर्षमापनशास्त्र के अनुसार और भरद्वाज श्रादि थे। इनके भारत- लिये गये थे। उन प्रमाणोंसे रिस्ले साहब. कालीन मुख्य लोग मद्र, केकय और ने यह सिद्धान्त निकाला कि हिन्दुस्थानके गान्धार थे। ये लोग गोरे और खूबसूरत भिन्न भिन्न प्रान्तोंमें आर्य जानिवालोंके ' होने थे। ऐसा जान पड़ता है कि मध्य- जो भेद देख पड़ते हैं, उनकी कल्पना सात देशके क्षत्रिय लोग बहुत करके इनकी विभागों में की जा सकेगी-(१) पंजाब, बेटियोंसे ब्याह करते थे। इसी कारण काश्मीर और गजपूतानेमें बहुत करके पागडुकी एक रानी माद्री भी थी । सभी लोग आर्य-जातिके हैं । (२) संयुक्त- धृतराष्ट्रकी स्त्री भी गान्धार देशकी बेटी प्रदेश और बिहारमें जो लोग हैं, चे आर्य थी। रामायणके दशरथ राजाकी स्त्री और द्रविड़ जातिकी मिश्रित सन्तान हैं। कैकेयी इसी कारणसे की गई थी और वह (३) बङ्गाल और उड़ीसाके लोग बहुत सुन्दरताके कारण पतिकी प्राणप्यारो थी। करके मङ्गोलियन और वीडियन मतलब यह कि पञ्जाबके आर्य पहले आये जातियोंके हैं । पर उच्च वर्णमें कुछ आर्य हुए आर्य थे। वे गोरे और खूबसूरत थे। जाति भी पाई जाती है। (४) सीलोनसे लोकमान्य तिलकने अपने ग्रन्थ 'पार्टिक लेकर समूचे मद्रास इलाकेके और हैदरा होम इन दि वेदाज़' में अनेक प्रमाण बाद, मध्यप्रदेश तथा छोटा नागपुरके ' देकर सिद्ध किया है कि भारती पार्योंका निवासी द्रविड़ जातिके हैं। (५) पश्चिम- . उत्तर ओरके ध्रुव प्रदेशको छोड़कर की ओर हिन्दुस्थानके किनारे गुजरात, दक्षिणमें आते समय, ईरानी अथवा महाराष्ट्र, कोकण और कुर्गतक द्रविड़ असुरोसे झगड़ा हुआ: फिर वे हिन्दु- और शक जातिका मिश्रण है। शेष दो स्थानके पञ्जाब प्रदेशमें आये और यहाँ वे भाम पश्चिमकी ओर बलूचिस्तान और पूर्व- सन ईसवीसे लगभग ४००० वर्ष पूर्व में श्रासाम तथा ब्रह्मदेश हैं। इनमें क्रमसं आबाद हो गये । लोकमान्य तिलकने ईरानी और मङ्गोलियन जातिवाले हैं । पर संसारको बतला दिया है कि इस बातका ये हिन्दुस्तानके बाहर हैं; इसलिये उनसे वर्णन ईरानियोंके 'वैदिदाद' नामक धर्म- हमें कुछ मतलब नहीं। ऊपर पाँच भागो- ' ग्रन्थमें है। उस ग्रन्थमें कहा गया है के लोमोंका जो वर्णन किया गया है, कि-"आर्य लोगोंमे सप्तसिन्धु अर्थात् उसका मेल अनेक अंशोंमें, (एक भागको पञ्जाबमें बस्ती बसाई: परन्तु इन्हें सताने-