पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/१९

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राज्य देखकर नहीं की गई थी ७८, शक यवनोंकी जानकारी पहलेसे ही थी , रोमक शब्दसे रोमका तात्पर्य नहीं है बल्कि बालवाले लोगोंका है ७६, साम्राज्यकी कल्पना यदि अशोकके राज्यसे नहीं तो चन्द्रगुप्त या नन्दके राज्यसे हुई होगी GE, हाप्किन्सके मतका ब्योरा-महाभारतकी चार अलग अलग सीढ़ियाँ, अन्तिम वृद्धि ई. सन् ४०० की है ८०, जब कि डायोन क्रायसोस्टोमके प्रमाण पर कोई यूरोपियन विद्वान् कुछ नहीं कहता तब महाभारतका समय सन ५० से इधर नहीं लाया जा सकता । तीसरा प्रकरण-क्या भारतीय युद्ध काल्पनिक है-पृ०८१-८८ भारत इतिहास है और उसीका प्रमाण यथेष्ट है -१, उल्लेखके अभावका प्रमाण लँगडा है, पाण्डव सदगणोंके उत्कर्षकी कल्पना मात्र नहीं हैं. पाँ भाइयोंने मिलकर एक ही स्त्रीके साथ विवाह किया, यह कोई सद्गुणकी बात नहीं है ८२-८३, वेबरका यह सिद्धान्त भ्रमपूर्ण है कि युद्ध तो हुआ परन्तु पाण्डव नहीं हुए ८३, “क्वपारिक्षिताः अभवन्” का सम्बन्ध युद्धसे नहीं है ८३-८४, जन्मेजयकी ब्रह्महत्याका सम्बन्ध युद्धसे नहीं लगता ८४, श्रीकृष्ण पीछेसे नहीं बढ़ाये गये ४-५, हापकिन्सका यह मत भ्रमपूर्ण है कि महाभारतका युद्ध भारत-कौरवोंका युद्ध है ८५-६, “तवैव ता भारत पञ्चनद्यः" वाले श्लोकका अर्थ ८६, पाण्डवोंकी कथा पीछे. से नहीं बढ़ाई जा सकती, पाण्डवोका कहीं इधर होना दिखाई नहीं पड़ता ८७-८, चौथा प्रकरण-भारतीय युद्धका समय-पृ०८६-१४० समयके सम्बन्धमें पाँच मत, इनसे सदासे पञ्चाङ्गोंमें दिया जानेवाला ईसा- से पूर्व सन् ३१०१ का समय ही प्राह्य है , महाभारतमें यह वर्णन है कि भारतीय युद्ध कलियुगके प्रारम्भमें हुश्रा 80, कलियुगका प्रारम्भ और श्रीकृष्णका समय एक ही है, मेगास्थिनीज़ने श्रीकृष्ण अथवा हिराक्लीज़के सम्बन्धमें जो पीढ़ियाँ दी हैं उनके आधार पर निश्चित समय ६०-६१, ज्योतिषियोंके द्वारा निश्चित किया हुआ और पीढ़ियों तथा दन्तकथाओंकी सहायतासे निश्चित किया हुआ कलियुगके प्रारम्भका समय १२, यह मत भ्रमपूर्ण है कि आर्यभट्टने ई० सन् पूर्व ४०० गणित करके कलि- युगके प्रारम्भका समय दिया है ६२-६३, गणितका ज्ञान होनेसे पहलेका मेगाखिनीज़- का प्रमाण है ६४, प्राचीन कालमें राजाओंकी वंशावली लिखी जाती थी १४, वराह- मिहिरका यह मत भ्रमपूर्ण है कि कलियुग वर्ष ६५३ अर्थात् शकपूर्व २५२६ इस युद्धका समय है १४-६५, वराहमिहिरने गर्गके वचनका गलत अर्थ किया 8५, यह मत भ्रमपूर्ण है कि गर्गन २५२६ की संख्या गणित करके सप्तर्षिचारसे निकाली 8५, ऐसा ठीक ठीक अङ्क निकालनेके लिए गणितमें कोई साधन नहीं है ६६, यह अङ्क उसने वंशावलीसे ही दिया है ६७, पुराणोंका मन काल्पनिक है ६६, पुराणोंको बातें ज्योतिषके विरुद्ध हैं १००, मेगास्थिनीज़ने चन्द्रगुप्ततक १३५ पीढ़ियाँ बसलाई हैं और पुराण केवल ४६ बतलाते हैं, मेगास्थिनीज़ अधिक विश्वसनीय है १००-१०१, महा- भारतमें श्रीकृष्णकी वंशावली १०२, मेगास्थिनीज पर होनेवाला आक्षेप निर्मूल है