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महाभारतमीमांसा

ॐ महाभारतमीमांसा सन्ध, इस तरह तीनों मल्ल तीनों लोकोको पोरस राजाका खूब ऊँचा कद और प्रति- जीतने में समर्थ हैं, यह बात श्रीकृष्णने | शय बलसम्पन्न शरीर देखकर तथा कही है (स०अ०१६)। विराट राजाके | उसकी शूरताका विचार करके सिकन्दर- यहाँ भी कीचक और उसके अनुयायी को जो अत्यन्त कौतुक हुआ था, उसका महामल्ल थे। मतलब यह कि उस समय कारण भी यही है। पञ्जाबके और गङ्गा- प्रत्येक वीरके लिए शारीरिक शक्ति अत्यन्त यमुनाके प्रदेशके आर्य अब भी ऊँचे आवश्यक होती थी। समग्र युद्धमें भी और ताक़तवर होते हैं। इन लोगोंको शारीरिक शक्तिका ही विशेष उपयोग अबतक मल्लविद्याका बेहद शौक है। यह हुना करता था। गदायुद्ध और गजयुद्ध कहा जा सकता है कि प्राचीन कालके ऐले थे कि इन्ह मल्ल ही अच्छी तरह कर | लोगोके स्वभावका यह परिणाम अबतक सकते थे। हाथीसे निरा बाहुयुद्ध करन- चला आ रहा है। वाले श्रीकृष्ण और भीम जैसे मल्ल उस हिन्दुस्थानमें भारतीय आर्य जैसे समय उस जमाने में तो ये बातें धन- सशक्त थे वैसे ही खबसरत भी थे। हमारे होनी अँचती हैं : परन्तु सचमुच इसकी ग्रन्थों और यूनानी लोगोंके लेखोंमें यह कोई मर्यादा नहीं कि मनुष्य अपना शारी- वर्णन है कि भारतीय श्रार्योंकी नाक ऊँची रिक बल कहाँतक बढ़ा सकता है और और आँखें बड़ी बड़ी थीं। चीनी परि- युद्ध में कितना प्रवीण हो सकता है। गदा- व्राजक हुएनसांगने भी ऐसा ही वर्णन युद्ध करना भी मल्लका ही काम था: और किया है। यूनानी इतिहासकारोंने वर्णन दुर्योधन सदृश सार्वभौम सम्राट भी किया है कि पोरसका स्वरूप अच्छा उसमें कुशल था। धनुर्विद्याके लिए भी था। किन्तु इन्होंने ऐसे सौन्दर्यको बहुत शारीरिक शक्तिकी आवश्यकता थी । ही प्रशंसा की है जो कि सोफिटीसको मज़बूत धनुष खींचने में बहुत ताकत लगती शोभा दे । यह प्रकट ही है कि सोफिटीस- थी। सारांश यह कि प्राचीन कालके सभी से तात्पर्य अश्वपति का है । रामायण और तरहके युद्धोंमें शारीरिक शक्तिकी श्राव- महाभारतमें केकय अश्वपतिका वर्णन श्यकता होती थी। इसके लिए क्षत्रिय बहुत है, और मद्र लोग भी इसी जातिके और ब्राह्मण शारीरिक शक्ति बढ़ानेकी थे। कैकेयी और माद्री परमा सुन्दरी कलाका अभ्यास किया करते थे। देशमें थीं। महाभारतमें लिखा गया है कि माद्री- अन्न भी भरपूर था, इस कारण उनके ये | का बेटा नकुल बहुत सुन्दर था। इन प्रयत्न खुब सफल होते थे और मूलकी उल्लेखोंसे प्रकट होता है कि पञ्जाबके बीजशक्ति से भी उनको मदद मिलती क्षत्रिय बहुत ही सुन्दर होते थे। ऊपर रहती थी। यूनानियोंका जो प्रमाण दिया गया है, समस्त श्राश्रम-व्यवस्था और समाज-उससे सिद्ध होता है कि पञ्जाबके क्षत्रियों स्थिति इस प्रकार अनुकूल होनेके कारण | की यह विशेषता महाभारतके समयतक शारीरिक शक्तिके अनेक व्यवसायोंमें भी थी । अब भी पाबवाले-औरत भारती आर्य वैसे ही अग्रणी थे जैसे कि और मर्द सभी-अन्य प्रान्तवालोंकी स्पार्टन लोग । इसमें कुछ आश्चर्यकी बात अपेक्षा सशक्त और सुन्दर होते हैं। नहीं। प्राचीन समयसे लेकर महाभारतके वर्ण। : . समयतक उनकी यह प्रसिद्धि सिर थी। ऐसा जान पड़ता है कि प्राचौंका-वर्ल