पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/३४७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
  • राजकीय परिस्थिति।

३२१ कालमें इससे प्रजाको बड़ी भारी सुबिधा निवर्तन दशकं कर्षणीयं स्वीयवाद थी, क्योंकि प्रत्येक मनुष्य स्वयं अपनी मेह- क्षणीयं च। नतसे मुफ्त लकड़ी, पत्थर, मिट्टी, घास जो किसान निजकी सौ निवर्तन आदि ले सकता था। जमीन जोतेगा, उसे राजाकी इस निध. जनाव र्त न जमीन मुक्तमें जोत देनी चाहिए और बो देनी चाहिए । इस टीकाके अवतरण- जमीनका महसूल अनाजके स्वरूपमें से मालूम होता है कि प्राचीन समयमें देमेका रवाज सब राज्योमें जारी था। निवर्तन शब्द बीघेके अर्थमें प्रचलित इसीसे पूर्वकालमें जमीनकी पैमाइश था । परन्तु वह महाभारतमें नहीं पाया करनेकी आवश्यकता नहीं थी । गाँवकी जाता । फिर भी निवर्तन शब्द चाणक्यके हद निश्चित थी; और उस हदमें खेती- अर्थशास्त्र में है। उसका अर्थ लम्बाईमें बीस के लायक जितनी जमीन रहती थी उस हाथ है। अर्थात् क्षेत्र निवर्तनका अर्थ पर गाँववालोंका स्वामित्व रहता था। चार सौ वर्ग हाथ होता है। महाभारत. निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता कि कालमें निवर्तन ही जमीनकी माप प्रसिद्ध स्वामित्व एकत्र रहता था या विभाजित, रही होगी । इस अवतरणसे यह भी क्योंकि दोनों प्रकारकी परिपाटी अब प्रकट होता है कि महाभारत-कालमें लोगों- भी दिखाई पड़ती है । तथापि यह बात की निजकी जमीनको छोड़ म्वास राजा- निश्चित है कि जमीनके अलग अलग की भी अलग जमीन रहती थी। राज- खंड किये जाते थे और उन पर विशिष्ट धानीमें बाग-बगीचे प्रादि जमीनके स्वतंत्र लोगोंका स्वामित्व रहता था । जमीनके भाग राजाके उपभोगके लिए रहते होंगे। क्रय-विक्रयका उल्लेख महाभारतमे कई परन्तु समस्त देशमें भिन्न भिन्न स्थानोंमें स्थानों में आया है। जमीनकी कीमत थी। गजाकी जमीन न रहती होगी। हम भूमि-दान बहुत पुण्यकारक समझा पहले ही कह चुके हैं कि जमीन पर प्रायः जाता था। कहा है कि चतुर मनुष्य कुछ साग स्वामित्व लोगोंका ही था। राजा. न कुछ ज़मीन खरीदकर दान करे। की निजकी जमीनके सिवा उसकी ___ 'तस्मात्क्रीचा महीं दद्यात्स्वल्पामपि गौओंके बड़े बड़े भुगड भी रहते थे। ये विचक्षणः भुगर भिन्न भिन्न जङ्गलोंमें रहते थे। (अनुशासन पर्व अ० ६७ श्लो ३४)। करके रूपमें लोगों से मिले हुए दोर इसी- यदि जमीनका क्रय-विक्रय होताथा तो में रहते थे। इन झुगडोका वर्णन महा- उसकी पैमाइश भी होती होगी। निश्चय- भारतमें दो तीन जगह पाया जाता है। पूर्वक नहीं बताया जा सकता कि महा- पूर्व कालमें प्रत्येक राजाके पास हजारों भारत-कालमें जमीनकी माप किस गाय-बैलोंके भुराड रहते थे । बैलोकी हिसाबसे होती थी। बीघा तो मुसल- वृद्धि करने, उनके लक्षणोंको जानने मानी माप है और एकड़ अंग्रेजी माप और उनके रोगोंको दूर करनेका शास्त्र है। टीकासे मालूम होता है कि इसके उस समय उन्नतावस्थामें पहुँच गया था। पहले निवर्तन-माप प्रचलित थी। सहदेव पशु-परीक्षक बनकर विराट ____ यो वै कनाशः शतनिवर्तनानि भूमेः गजाकी नौकरीमें रहा था। वह कहता कर्षति तेन विष्टिरूपेण गजकीयमपि है-मैं युधिष्ठिरके पशुओके मुंडों पर