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पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/३४८

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महाभारतमीमांसा

ॐ महाभारतमीमांसा. - नौकर था। एक डमें सौ पशु होते कि बेगार सब लोगोंसे ली जाती थी। हैं; ऐसे आठ लाख मुंड युधिष्ठिरके थे। यह सच है कि ब्राह्मणोंके विशेष अधि. मैं जहाँ रहूँ वहाँले आस-पासके दस कार समस्त राज्यों में मान्य किये जाते योजनतक इस बातको जान सकता हूँ थे। उनके लिए वेगार और महसूल सब कि गौओंको पहले क्या हुआ था और माफ था। उन्हें दूसरोंकी नाई सजा भी आगे उन्हें क्या होगा। मैं अच्छी तरहसे नहीं होती थी। यदि उनमेंसे कोई वारिसो- जानता हूँ कि गौओंकी वृद्धि किस | के बिना मर जाता था तो उसकी जाय- उपायसे होती है और क्या करनेसे उन्हें दाद सरकारमें जब्त नहीं होती थी। बीमारी नहीं होने पाती। मैं जानता हूँ परन्तु ये सब सुविधाएँ केवल उन वेद कि उत्तम बैलोंके लक्षण कौनसे हैं।” जाननेवाले ब्राह्मणोंके लिए थीं जो अग्नि (विराट पर्व अ०१०)। दुर्योधनके घोष- रखकर अध्ययन, अध्यापन, यजन, याजन का, यानी गौत्रोंके मुंडोंके रहनेका श्रादि ब्राह्मणोचित उद्योगमें लगे रहते स्थान छैतवनमें था । वहाँ वह जानबूझ- थे-दृसगैके लिए ये मुविधाएँ न थीं। कर घोषको देखने गया था । उसने , अश्रोत्रियाः सर्व एव हज़ारों गौएँ देखीं। सबके चिह्नों और सर्वे चानाहिताग्नयः । संख्याकी उसने जाँच की । बछड़ोको । तान् सर्वान धार्मिकोराजा चिह्न लगवाये । जिन गौओंके बच्चे छोटे बलिविष्टिं च कारयेत् ॥ थे, उनके सम्बन्धमें उसने यह निश्चय (शान्ति पर्व श्र०७६) किया कि उन्हें प्रसूत होकर कितना समय । धार्मिक राजा उन सब ब्राह्मणोंसे बीना होगा। गौओंकी गिनती कगई वेगार और महमूल ले जो वेद न जानते और तीन सालके ऊपरके बैलोंकी गिनती हो और अग्नि रखनेवाले न हो । अर्थात् , अलग कराई । (वनपर्व अ० २४०)। ऐसे ब्राह्मण नामसे तो ब्राह्मण पर गेज़- उपर्युक्त वर्णनसे ज्ञात होगा कि गजाके : गारसे शद्र होते हैं। इसलिए इन लोगोंसे स्वामित्वमें रहनेवाली गोत्रोंके मुंडका शद्रोका काम कगनेमें गजाकी धार्मि- प्रबन्ध किस प्रकार होता था। इन गांधी कतामें किसी प्रकारका दोष उत्पन्न पर सरकारी ग्वाल रहते थे और उनपर नहीं होता। एक अधिकारी भी रहता था। गजाकी आमदनीके मुख्य साधन ये बेगार । थेः-१ जमीनका महमूल, २ जानवरों पर लगाया हुअा कर, ३ सायर अर्थात् राजाओंको बेगार लेनेका अधिकार । खरीद-फरोख्त पर कर, ४ खानोंकी उपज, था। राजधर्म में कहा गया है कि राजा ५ नमकका कर, ६ नाव चलानेवालों पर मिन्न भिन्न शिल्पकारों तथा मज़दूरोंसे 'तर' नामक कर, ७ जङ्गली हाथी । यहाँ बेगार लिया करे। बहुधा ऐसा नियम यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि वर्त- रहा होगा कि ये लोग दस दिनों में राजा- मान भारत-सरकारकी आमदनीके भी ये के लिए एक दिन मुफ्तमें काम किया करें। ही साधन है। इनके मियान्याय-विभागकी इसी तरह फौज और राजमहलके लिए आमदनी, स्टाम्प और लावारिस माल- लगनेवाली वस्तुएँ बेगारसे तैयार कराई के साधनोंका विचार हम आगे चल- जाती थी। यहाँ यह बतला देना चाहिए कर करेंगे।