ॐ भूगोलिक ज्ञान । * ३८५ भारत में इसकी कल्पना बहुत अस्पष्ट है अर्धगौर वर्ण तथा श्याम घर्षके लोग कि उक्त समुद्र कहा है। हाँ, एक जगह होते हैं, पर यहाँ सभी लोग श्याम वर्णके यह अवश्य लिखा है कि जम्बूद्वीपके चारों हैं। यह बात यहाँ खास तौर पर यतलाई मोर समुद्र खारा है। रामायणमें ऐसी गई है। इस द्वीपके भी सात वर्ष, अर्थात् कल्पना है कि जम्बूद्वीपके दक्षिण ओर खण्ड, हुए हैं और यहाँ भी जम्बू वृक्षके खारा समुद्र है और उत्तर ओर क्षीर समान एक बड़ा शाक वृक्ष है, जिसकी समुद्र है। अच्छा, अब हम यह बतलाते ऊँचाई और मोटाई जम्बू वृक्षके समान हैं कि महाभारतमें अगले अध्यायोंमें ही है। यहाँके लोग इस वृक्षकी सेवामें इसकी कल्पना औरद्वीप-सम्बन्धी कल्पना लगे रहते हैं । यहाँ नदियोंका जल बहुत कैसी है। पवित्र है-प्रत्यक्ष गङ्गा अनेक रूपसे ___सम्पूर्ण भूवर्णन हो जाने पर ग्यार- बहती है । इस द्वीपमें चार पवित्र और हवें अध्यायमें भीष्म पर्वमें द्वीपोंका वर्णन लोकमान्य देश है-मग, मशक, मानस फिर दिया हुआ है । उसमें पहले यह और मंदग। इनमेंसे मग ब्राह्मण हैं जो कहा है कि पृथ्वी पर अनेक द्वीप हैं। ब्रह्मकर्ममें निमग्न रहते हैं। मशकमें धर्म- यह नहीं कि सात ही द्वीप हैं: परन्तु निष्ठ क्षत्रिय रहते हैं । मानसके सब सात द्वीप मुख्य हैं* । यहाँ पर यह नहीं निवासी वैश्य वृत्तिसे उपजीविका करते बतलाया गया कि सात द्वीप कौनसे हैं । हैं; और मन्दगमें धर्मशील शद्र रहते तथापि प्रारम्भमें तीन द्वीप बतलाये हैं। हैं । यहाँ कोई राजा नहीं है। सब अपने और फिर यहाँ चार और बतला दिये अपने धर्मसे चलकर एक दुसरेकी रक्षा है-शाक, कुश, शाल्वलि और कौंच । करते हैं। पहले तीन द्वीप अर्थात् जम्बू, काश्यप, उपर्युक्त वर्णन प्रायः काल्पनिक है, और नागको मिलाकर कुल सात द्वीपसम- इसमें कुछ भी सन्देह नहीं। वह जम्बू- झने चाहिएँ । शाकद्वीपका वर्णन बहुत द्वीपके वर्णनसे और कुछ बातों में अतिश- ही विस्तृत रोतिसे दिया हुआ है। शाक- योक्ति करके लिखा गया है। पर आश्चर्य- द्वीप जम्बूद्वीपसे दुगुना है: और उसके की बात है कि इस वर्णनमें लोगोंके जो भासपास क्षीरसमुद्र है। यहाँ पर यह नाम दिये हुए हैं, वे सच्चे और ऐति- नहीं बतलाया गया कि यह द्वीप जम्बू- हासिक हैं । द्वीपका नाम शाक बतलाया द्वीपके किस ओर है। परन्तु यह शायद गया है। यदि यह नाम शकसे निकला उत्तर ओर होगा। इसमें भी जम्बूद्वीपकी हो तो इतिहाससे यह मालूम होता है भाँति सात पर्वत हैं: और उतनी ही कि शक और पार्सी जिस देशमें रहते थे, तथा वैसी ही नदियाँ हैं । मलय और उस देशमे उपर्युक्त नामके ब्राह्मण, वैश्य, रैवतक, ये दो नाम भारतवर्ष के नामोंकी क्षत्रिय और शद्र रहते थे। मग-ब्राह्मण ही भाँति हैं। यहाँके लोग अत्यन्त पुगय-पास लोगोंके अग्निपूजक और सूर्यपूजक वान् होते हैं। अन्य द्वीपोंमें गौर वर्ण और मागी धर्मगुरु हैं। इनके विषयमें कहा -- जाता है कि ये बड़े जादूगर होते हैं। ये • त्रयोदश समुद्रस्य दीपानश्नन् पुरुरवाः । आदि० म०७५ में १३ द्वीप बतलाये हैं। मो टीकाकारने कहीके । २० लोग हिन्दुस्थानमें भी पाये हैं; और कही मिला दिये हैं । मंख्यायुक्त कट मौतिने जगह जगह आजकल "मग ब्राह्मण" के नामसे प्रसिद्ध भर दिये। हैं। वे सूर्योपासक है, परन्तु यह मानना
पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/४१३
दिखावट