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महाभारतमीमांसा
  • महाभारतमीमांसा

सम्भवनीय नहीं कि ये ब्राह्मण महा- परिमाण कुछ नापा नहीं जा सकता। भारतमे वर्णन किये हुए शाकद्वीपमें ये दिग्गज अपने शुंडोंसे वायुका निग्रह रहनेवाले हैं, और क्षार समुद्र तथा क्षीर- · करके फिर उच्छास रूपसे उसे छोड़ते हैं। समुद्र लाँघकर पाये हैं। तात्पर्य यह है बस, यही वायु सारी पृथ्वी पर बहती है। कि इस काल्पनिक द्वीपमें जैसे नदियों जान पड़ता है, इन द्वीपोंकी कल्पना और पर्वतोंके नाम जम्बूद्वीपसे ले लिये केवल पुण्यवान् लोक या निवासस्थान गये है, वैसे ही लोगोंके नाम मग, मंदग कल्पित करनेके लिए की गई है और वह इत्यादि और शक नाम भी, जम्बृद्वीपसे जम्बूद्वीपकी कल्पना रची गई है। इस ही वहाँ ले लिये गये हैं। - कल्पनाका उत्पन्न होना स्वाभा अब हम शेष द्वीपोंका वर्णन करते हैं। पृथ्वी पर भिन्न भिन्न सुखी लोक अर्थात इन द्वीपोंको उत्तरद्वीप कहा है। इस- निवासस्थान है। परन्तु चार दिग्गजोंकी लिए वे उत्तरकी ओर होने चाहिएँ। कल्पना सबसे अधिक आश्चर्यकारक है। इनके पास घृतसमुद्र, दधिसमुद्र, सुरा- एक ही देशमें एक हो ओर ये चार समुद्र, जलसमुद्र, (मीठे पानीका ) ये दिग्गज बतलाये गये हैं। परन्तु हमारी चार समुद्र हैं। ये द्वीप दुगुने परिमाण- समझमें ये चार दिग्गज चार दिशाओमें से है। पश्चिम द्वीपमें नारायणका कृष्ण और चार भिन्न भिन्न भूमियोंमें होने संशक पर्वत है, जिसकी रक्षा स्वयं श्री- ' चाहिएँ । दिग्गजोंकी कल्पना शायद इस कृष्ण करते हैं । कुशद्वीपमें लोग कुशदर्भ- बातकी उपपत्ति लगानेके लिए की गई की पूजा करते हैं। शाल्मली द्वीपमें एक होगी कि, वायु कैसे बहती है। यहाँ चार शाल्मली वृक्ष है । उसकी लोग पूजा ही दिग्गज बतलाये गये हैं। परन्तु इसके करते हैं। क्रौंच द्वीपमें कौंच नामक पर्वत आगेके ग्रन्थों में और जैन तथा बौद्ध ग्रन्थों- है। उसमें अनेक रत्न है। प्रत्येक द्वीपमें छः । में आठ दिग्गजोंकी कल्पना पाई जाती पर्वत हैं, जिनसे सात वर्ष अथवा खंड है। उपर्युक्त सात द्विपोंके अतिरिक्त, एक हो गये हैं। उन पर्वतों और वर्षोके भिन्न और भी द्वीप. महाभारतके शान्तिपर्वम भिन्न नाम यहाँ देनेकी आवश्यकता नहीं। नारायणीय आख्यानमें श्वेतद्वीपके नाम- इनके निवासी गौर वर्णके हैं। इनमें म्लेच्छ से बतलाया गया है। वहाँ नारायण कोई नहीं है। एक और पुष्कर द्वीपका भी अपने भक्तों सहित रहते हैं । इसका वर्णन किया गया है। उस पर स्वयं ब्रह्मा- अधिक उल्लेख आगे किया जा सकेगा। जी रहते हैं, जिनकी देवता और महर्षि पांडवोंके महाप्रस्थानके वर्णनमें पूजा करते हैं। इन सब द्वीपोंके निवासियों- जम्बूद्वीपका जो वर्णन किया गया है, की प्रायुका परिमाण ब्रह्मचर्य, सत्य और वह यहाँ देने योग्य है। पांडव पूर्वकी दमके कारण दूना बढ़ गया है। सब लोगों- ' ओर जाते जाते उदयाचलके पास लौ- का धर्म एक ही है, अतएव सभी द्वीप हित्य सागरके निकट जा पहुंचे । वहाँ मिलकर एक ही देश माना जाता है। अग्निने उनका मार्ग गेका । उसके कहने- यहाँकी प्रजाका राजा प्रजापति ही है। · से अर्जुनने गांडीव धनुष समुद्र में डाल इस द्वीपके आगे सम नामकी बस्ती है। वहाँ दिया। इसके बाद वे दक्षिणकी ओर घूम लोकमान्य, वामन, ऐरावत, इत्यादि चार पड़े; और क्षागब्धिके उत्तरी तटसे दिग्गज हैं, जिनकी ऊँचाई और प्राकार- नैर्ऋत्य दिशाकी ओर गये। इसके बाद