पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/४२९

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8 भूगोलिक ज्ञान। * - प्रदेशकी ओर चला। इसके बाद कोरल यमुना, बादको सरस्वती, फिर शुतुद्री, और नील देशोंको जीता। अनन्तर शिशु- इसके बाद परुष्णी, फिर असिक्की, तइन- पालको जीतकर अवन्ति देशको जीता: त्तर मरुतवृधा और विस्तता आती है। और फिर वह पश्चिमकी ओर गया, तथा शुतुद्री आजकलकी सतलज है। परुष्णी यवन और बर्बर लोगोंको कर देनेके लिए आजकलकी ऐरावती अथवा रावी है। उसने बाध्य किया। इस छोटेसे दिग्वि- असिनी विपाशा अर्थात् आजकलकी जय-वर्णनमें नवीन देश बहुतसे आये हैं: ब्यासा है; और वितस्ता झेलम है । मरुत- अतएव यह शङ्का होती है कि, क्या यह वृधा कौनसी नदी है, यह अभीतक वर्णन महाभारतकी अपेक्षा अर्वाचीन अच्छी तरह निश्चित नहीं हुआ। सिन्धु- तो नहीं है। तथापि ऐसा न मानकर नद प्रसिद्ध ही है। कुमा काबुल नदी है। देशोकी सूची में निम्नलिखित नाम और और गोमती तथा सुवस्तु अथवा स्वात बढ़ाने चाहिए:-उत्तर : नेपाल पूर्व, २ सिन्धुके उस पारसे मिलनेवाली नदियाँ हैं। शुण्डिक, ३ कर्कवण्ड; मध्यदेश ४ वत्स, । सग्यूनदी पञ्जाबके उस पारकी है परन्तु वह ५ मोहन, ६ त्रिपुर, दक्षिण शैल, - इस मूक्तमें नहीं कही गई है। जेन्द ग्रन्धमें नील और पश्चिम और बर्वर । ये नाम ; उसका नाम 'हग्यू' पाया जाता है। इसी देशोकी सूची में अलग बढ़ा दिये गये हैं। प्रकार सरस्वती (हरहवती) नाम भी जेंद ग्रन्थमें है। इन प्राचीन आर्य नदियों के नदियाँ। । नाम सरस्वती और सरयू उत्तर भारतको अब हम भारतकी नदियोंके विषयमें नदियों को प्राप्त हुए, इसमें आश्चर्य नहीं। विचार करेंगे। इन नदियोंकी जो सूची गमायणके वर्णनसे हम यह कह सकते भीष्मपर्वमें दी है, वह भी दिशाओंके हैं कि, अश्वपतिका केकय देश रावी और अनुरोधसे नहीं दी गई है, इधर । विपाशाके बीच में था । ग्रीक लोगोंने इन उधरमे मनमानी दे दी है । अतएव यह नदियों के नाम बिलकुल ही भिन्न कर दिये निश्चित करना बहुत मुशकिल है कि वे है। महाभारतमें लिखा है कि सरखती, नदियाँ कौनसी हैं। तथापि महाभारतके शनद्र और यमुनाके बीच हिमालयमें अन्य स्थानोंके उल्लेखों परसे हम कुछ उत्पन्न हुई: और कुरुक्षेत्रसे जाते जाते प्रयत्न कर सकेंगे। पहले हम उत्तर ओरकी मरुदेशके रेगिस्तानमें गुप्त हो गई। परन्तु अर्थात् पञ्जाबकी नदियोका विचार करेंगे। महाभारतकालमें भी एक ऐसी दन्तकथा ऋग्वेदके दसवें मण्डलमें नदीसूक्त है। प्रचलित होगी कि वह नदी किसी समय उसमें घतलाई हुई नदियाँ ऋग्वेदकालमें , पश्चिमकी श्रोर बहती हुई कच्छके रणसे प्रसिद्ध थीं। उनके विषयमें यह क्रम देख अग्ब समुद्र में जा मिली। इसका श्रागे पड़ता है कि वे पूर्व पोरसे पश्चिमकी सरस्वती तीर्थ-यात्राके वर्णनमें हम विस्तार- और बतलाई गई हैं। पूर्वक विचार करेंगे। पञ्जाब देशकी अन्य इसमे गंगे यमुने सरस्वती शुतुद्रि ' कौन कौन सी नदियाँ महाभारतकी स्तोमं सचता परुप्यया। । नदियोंकी सूचीमें बतलाई हैं, यह बात इस सूक्तसे यह कहा जा सकेगा कि हम इससे अधिक निश्चयपूर्वक नहीं प्राचीन कालमें आर्य लोग कहाँनक फैले वतला सकते । चन्द्रभागा नदी पाबकी हुए थे। पहले गङ्गा, उसके पश्चिममें है। इस नदीका यही नाम इस समय भी