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पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/८०

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महाभारतमीमांसा

ॐ महाभारतमीमांसा समयकाका एक भी भाग महाभारतमें समय प्रायः निश्चित साहै। इनका निर्माण नहीं है। इतना कहकर अब हम अपने ईसवी सन्के पहले १५० से १०० सबके प्रधान विषयका विचार करेंगे। समयमें हुआ है। इनमें बौद्ध और जैन महाभारतके निर्माण-कालका निश्चय मतोका खुब खण्डन किया गया है। करते समय अन्तः प्रमाणोंके सम्बन्धमे पाशुपत और पाञ्चरात्र मतोंका भी कहा गया है कि-"महाभारतमें जिन जिन खण्डन इन सूत्रोंमें है । ऐसी वंशामें कहना प्राचीन ग्रन्थोके नाम आये हैं उन सबका चाहिये कि बौद्ध और जैन मतोंके गिर विवरण किया जाय । यह जानना चाहिये जाने पर यह ग्रन्थ बना होगा। अर्थात: कि वेद, उपवेद, अङ्ग, उपार, ब्राह्मण, अब मौर्य वंशका उच्छेद हो गया और उपनिषद्, सूत्र, धर्मशास्त्र, पुराण, इति- पुष्पमित्र तथा अग्निमित्र नामक राजाओं- हास, काव्य, नाटक श्रादिभेसे किन किन- ने, ईसवी सन्के पहले १५० के लगभग का उल्लेख महाभारतमें पाया जाता है: मगध राज्यको अपने अधीन कर लिया, और फिर उनके नाम-निर्देशको अन्तः तब यह ग्रन्थ बना होगा। ये दोनों सम्राट प्रमाणमें प्रथम स्थान देना चाहिये ।" इस पूरे सनातनधर्माभिमानी थे। इन्होंने बोल विषयकी चर्चा हाप्किन्सने की है। अब धर्मको गिगकर यज्ञादि कर्मोका फिरसे हम उसके ग्रन्थके तात्पर्यकी ओर ध्यान प्रारम्भ किया था। इन्होंने अश्वमेध यह देते हुए उक्त सब प्रमाणोका यहाँ उलटे भी किया था। सारांश, इनके समय में कमसे विचार करेंगे। महाभारतमें काव्य- आर्य धर्मकी पूरी पूरी विजय हो गई थी। नाटकोंका सामान्य उल्लेख होगा: परन्तु इनके समयमें ही वेदान्त-तस्वज्ञानकी प्रब- नट, शैलूषी इत्यादिका उल्लेख होने पर भी लता प्रस्थापित हुई है। यह प्राचार्यकी किसी नाटक-ग्रन्थका नामतक नहीं है। बात है कि इन राजानोंके समयके (ईसी इसके बाद अब हम यह देखेंगे कि सूत्रों, सन्के पहले १०० वर्षके ) इन ग्रन्थोंका धर्मशास्त्रों और पुराणों में से किन ग्रन्थोंका उल्लेख महाभारतान्तर्गत गीताके लोकमें उल्लेख महाभारतमें पाया जाता है। पाया जाय ! इस आश्चर्यका कारण यह ___"ब्रह्मसूत्रपदैश्चैव” (गी० अ०१३-४) है कि महाभारतमें भी बौद्ध और जैन गीताके श्लोक-पादमें ब्रह्मसूत्रका नाम मतोका खण्डन नहीं है। इसी प्रकार पाश- माया है। यह ब्रह्मसूत्र कौन सा है ? सच- रात्र और पाशुपत तथा सांख्य और योग मुच यह बड़े महत्त्वका प्रश्न है । यदि वह । मतोंका भी खण्डन न होकर इन सबका बादरायण-कृत वर्तमान 'वेदान्त-सूत्र' ही मेल मिला गया है। ऐसी दशामें तो महा. हो, तो उससे केवल महाभारतके ही समय- भारत वेदान्त-सूत्रोंके पहलेका होना का निश्चय नहीं हो जाता है, किन्तु उस चाहिये । और भगवद्गीता तो उससे भी भगवदगीतके भी समयका निश्चय हो जाता पहलेकी है। यदि भगवद्गीतामें वेदान्त- है जिसे हमने महाभारतका अत्यन्त सूत्रोंका उल्लेख पाया जाय तो कहना प्राचीन भाग माना है। ऐसा हो जानेसे पड़ेगा कि महाभारतका, और भगवीता. भगवद्रोताके समयको बहुत इस ओर का भी, समय ईसवी सन्के पहले १५० बींचना पड़ेगा। अतएव यहाँ इस प्रश्नका वर्षके इस ओर है । इस कठिन समस्या. विस्तार-सहित विचार किया जाना | काहल करना ही यहाँ महत्त्वका विषय है। बाहिये। बादरायण-कृत वेदान्त-सूत्रोंका। प्रोफेसर मैक्समूलर और प्रोफेसर,