पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/१०१

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नेपाल / 97 थे वीर शमसेरजंग राना। शिरच्छेद करने में पराक्रम दिखला कर आपने मन्त्री का आसन छीन लिया। तब से आप नेपाल के हर्ताकर्ता हुए। आपको के० मी० एस०आई० का खिताब भी मिला। नेपाल के वर्तमान नरेश, महाराजाधिराज, और मन्त्री दोनों बहुत योग्य है। गत वर्ष तिबत-मिशन को नेपाल से बहुत मदद मिली थी। इस उपलक्ष्य में अंगरेजी गवर्नमेण्ट ने मन्त्रीजी को जी० सी० एस० आई० की उपाधि से अलंकृत किया है। 26 अप्रिल, 1905 को काठमाण्डू में एक दरबार किया गया। उसमें महाराज चन्द्रशमशेर- जंग राना बहादुर को रेजिडेंट साहब ने इम पदवी का मूचक पदक पहनाया । यही राना बहादुर आजकल नेपाल के मन्त्री हैं । दरबार में महाराजाधिराज भी पधारे थे। आपने रेजिडेंट साहब की अभ्यर्थना उठ कर की थी और एक वक्तृता भी दी थी। आपकी वक्तृता को आपके राज-गुरु ने पढ़कर सुनाया था । नेपाल के वर्तमान नरेश महाराजाधिराज पृथ्वी वीर विक्रम शमशेरजंग बहादु शाह का जन्म 8 अगस्त, 1874 को हुआ था। 17 मार्च 1881 को आप अपने पितामह की गद्दी पर बैठे थे। आप बहुत रूपवान और गुणवान हैं । आप अंगरेजी खूब लिख पढ़ सकते हैं और बोलते भी है। आप महाराज जंगबहादुर के दौहित्र है । [जुलाई, 1905 को 'सरस्वती' में प्रकाशित । 'दृश्य-दर्शन' पुस्तक में संकलित ।]