बलगारिया यूरप के दक्षिणी भाग में बालकन नाम का एक प्रायद्वीप है। यह प्रदेश कई छोटे छोटे राज्यों में विभक्त है। उनके नाम है-ग्रीस, मविया, बलगारिया, बासनिया, हर्जगोबिना, रोमानिया और अलबानिया । टर्की का जो भाग योरप में है वह भी इमी के अन्तर्गत है । पहले ये मब टर्की के आधीन थे। किन्तु धीरे धीरे ये स्वतन्त्र हो गये हैं। बामनिया और हर्जगोविना को आस्ट्रिया ने छीन लिया है। अलवानिया में अगजकता है । अन्य राज्य सुधरी हुई राजतन्त्र-प्रणाली से शामित होते हैं । इन राज्यों में ईमाई, मुसलमान और यहूदी सभी धर्मों के अनुयायियों का निवाम है । बलगारिया को टर्की से स्वतन्त्र हुए, अभी बहुत समय नहीं हुआ । तथापि इनने ही मनय में उसने बहुत उन्नति कर ली है। बलगारिया का राज्य टर्की के उत्तर है। उसका क्षेत्रफल कोई 38 हजार वर्गमील और आबादी कोई 50 लाख है । बलगारिया ने व्यापार-व्यवसाय, कृषि, शिल्प, उद्योग-धन्धा, शिक्षा आदि की खूब उन्नति की है। राज्य बारह विभागों में विभक्त है। हर विभाग के शासन के लिए एक एक अफ़मर नियत है । वह मन्त्रिमण्डल की सम्मति से नियुक्त किया जाता है। समग्र देश-शामन के लिए वहाँ एक सभा है । प्रजा के चुने हुए मुखिये उसके मेम्बर होते हैं। वही कानून बनाते हैं । वही राज्य-संचालन की प्रधान व्यवस्था करते हैं । उन्हीं के बनाये हुए नियम और कानून जारी होते हैं। राजकीय प्रबन्ध के लिए आठ मन्त्रियों की एक कौंसिल है । प्रजा के प्रतिनिधियो की सूचना और मम्मति के अनुसार यही कौंसिल राज्य- प्रबन्ध-सम्बन्धी सारा काम करती है । बलगारिया के अधिकांश निवासी कृषिजीवी हैं। प्रायः सारा कृषि कार्य कृषक के कुटुम्बियो ही को करना पड़ता है। किन्तु वे लोग शिक्षा का महत्त्व ससझते हैं। इस कारण बड़ी खुशी से वे अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं । सारडोवो और रोस्वासक नगरों में एक एक कृषि-विद्यालय है । इन विद्यालयों में कृषि-सम्बन्धी हर प्रकार की उपयोगिनी शिक्षा दी जाती है। इसके अतिरिक्त फिलिपोपोलिस नगर में कृषि-विषयक एक बड़ा स्कूल भी है। बलगारिया में पादड़ी लोग और देहाती स्कूलों के अध्यापक भी कृषि की शिक्षा प्राप्त करने के लिए बाध्य किये जाते हैं । फल यह हुआ है कि देश में कृषि बहुत अच्छी दशा में है। बलगारिया की राजधानी सोफ़िया मे एक बड़ा विश्वविद्यालय है। उसमें ऊँचे दर्जे की शिक्षा दी जाती है। 170 युवक और 300 युवतियां उसमें शिक्षा ग्रहण करती हैं उसमें लगभग 60 अध्यापक शिक्षादान का कार्य करते हैं । देश के समग्र शिक्षालयों की संख्या 5,450 है। उनमें कोई 13,500 अध्यापक काम करते हैं। सब विद्यार्थियों की संख्या 5,30,000 है । उनमें से 2,15,000 लड़कियां हैं।
पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/१७९
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