पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/१८

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14 / महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली . तक नहीं की।" यह थी उस लीग की असलियत । पाठक द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद गठित संयुक्त राष्ट्र संघ के चरित्र का इस लीग से मिलान करें और द्विवेदीजी की आलोचना को पढ़ें तो लगेगा जैसे वे संयुक्त राष्ट्र संघ के विषय में ही ये बातें कह रहे हों। चौथे भाग में द्विवेदी जी द्वारा लिखे गये विभिन्न एवं विशिष्ट विदेशियों के जीवन-चरित हैं । ये जीवनियाँ विभिन्न तरह के व्यक्तित्वों पर हैं। इनमें वैज्ञानिक, साहित्यकार, पत्रकार, शिक्षाविद्, संस्कृतविद्, राजनयिक, दार्शनिक, विचारक, तत्त्ववेत्ता, समाज-सुधारक, पहलवान आदि हैं। इनमें से कुछ जीवन-चरितों की चर्चा हम पहले ही कर आये है। कुछ की चर्चा आगे करेंगे। कोपर्निकस, गैलीलियो और न्यूटन यूरप के प्रारम्भिक वैज्ञानिक थे, जिनके जीवन-चरित सबसे पहले द्विवेदीजी ने लिखे । कोपर्निकस ने सबसे पहले ज्योतिष-विद्या का सच्चा ज्ञान प्राप्त किया था और यह सिद्ध किया था कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है । उसने अपनी पुस्तक मृत्यु के कुछ दिन पूर्व ही छपवायी थी। द्विवेदी जी लिखते हैं कि पुस्तक छपने के अनन्तर वह कुछ दिन जीता रहता तो शायद उसे वही दुख भोगने पड़ते जो गैलीलियो को भोगने पड़े । गैलीलियो ने सबसे पहले दूरबीन का आविष्कार किया और उसके द्वारा सूर्य, चन्द्रमा, और शनैश्चर आदि ग्रहों को देखकर उनके आकार, उनकी चाल और उनकी बनावट के विषय में ज्ञान प्राप्त किया। और यह कहकर कोपर्निकस के मत को पुष्ट किया कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है। पहले-पहल जब उसने यह बात प्रकाशित की कि पृथ्वी के समज चन्द्रमा पर भी पर्वत, गड्ढे और ऊँचे-नीचे स्थान हैं, तब पुराने विचार के लोग उमको खुल्लमखुल्ला गालियाँ देने लगे और उमकी शिकायत रोम के प्रधान धर्माधिकारी पोप से उन्होंने की। 1615 ई० में बाइबल के प्रतिकूल मत प्रचलित करने के इलज़ाम पर पोप ने गैलीलियो पर अभियोग चलाया। ऐसे ही एक अभियोग पर ब्रूनो नामक एक विद्वान को जिंदा जला दिया गया था और अंटोनियो डिडामिनस छह वर्ष तक कारागार में रहकर वहीं मर गया था । गैलीलियो ने इसी डर से न्यायाधीश के सामने यह स्वीकार किया कि जो बाइबल में लिखा है, वही सच है, मेरा मत गलत है। ऐसा करके उसने अपनी जान बचाई । पर वह चुपचाप अपना काम करता कहा । 1623 ई० में उसने अपनी दूसरी पुस्तक प्रकाशित की। इस पर भी बेहद हंगामा हुआ। पूरे रोमवासी उसके शत्रु हो गये। इस बार भी उस पर अभियोग लगाया गया और उसने माफी मांगी '1642 ई० में गैलीलियो की मृत्यु हुई और इसी वर्ष न्यूटन का जन्म हुआ, जिसने पृथ्वी के गुरुत्वा- कर्षण मिद्धांत का पता लगाया । गैलीलियो की बनाई दूरबीन की खामियों को इसने दूर किया। वह जीवन भर गणित एवं विज्ञान की नई खोज में लगा रहा । द्विवेदी जी बताते हैं कि यदि न्यूटन इंगलैंड में नहीं उत्पन्न हुआ होता तो शायद गैलीलियो की तरह उसे भी अनेक दुख और आपत्तियाँ झेलने पड़तीं। इन जीवन-चरितों में अंतिम लुई पास्टर पर है, जो विश्व का प्रसिद्ध रसायन-